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पति ने दिया हौसला, तो बच्चों की परवरिश की खातिर थाम लिया ई-रिक्शा

  • सुर्खियों में है बिहारशरीफ की सड़कों पर ई-रिक्शा से फर्राटे भर रही खुशबू
  • राह चलते कुछ लोग कसते हैं गंदी-गंदी फब्तियां, करते हैं परेशान
  • डीएसपी ने बढ़ाया हौसला, कहा- परेशानी हो ताे संपर्क करना

बिहारशरीफ। बिहारशरीफ की खुशबू इन दिनों सुर्खियों में हैं। वह सड़कों पर ई-रिक्शा से फर्राटे भर रही है। परवलपुर प्रखंड के मऊ गांव की रहने वाली शैलेश प्रसाद की पत्नी खुशबू अपने दो बच्चों के साथ किराये के मकान में रहकर उनकी परवरिश कर रही है।

लोन लेकर खरीदा ई-रिक्शा

खुशबू की शादी 10 साल पहले हुई थी। वह अपने पति के साथ गुजरात के वलसार में रहती थी। 1 साल पहले खुशबू बिहारशरीफ में रहने आई और बच्चों का दाखिला निजी विद्यालय में करा दिया। किराए के मकान में रहने और बच्चाें की पढ़ाई का खर्च जब नहीं जुटने लगा, तो गुजरात में रहकर ऑटो चला रहे खुशबू के पति ने कुछ काम करने की सलाह दी। इसके बाद सब्जी बेचने का मन बनाया, लेकिन जगह नहीं मिल सकी। वहीं शैलेश ने खुशबू से ई-रिक्शा चलाने की बात कही तब वह मान गई। 1 महीने पहले लोन लेकर ई-रिक्शा खरीद लिया और अब 15 दिनों से बिहार शरीफ के सड़कों पर फर्राटे भर रही है।

पति ने दी ई-रिक्शा चलाने की ट्रेनिंग

खुशबू बताती है कि उसके पति गुजरात में रहकर सीएनजी ऑटो चलाते हैं। 1 महीने पहले वह बिहारशरीफ आए थे और उन्होंने ही लगातार 15 दिनों तक यहां रहकर ई-रिक्शा चलाने की ट्रेनिंग दी थी।

मायके वालों को लगता है बुरा

खुशबू ने बताया कि उसके मायके वाले इस काम से खुश नहीं है। हालांकि खुशबू को इस बात का जरा भी इल्म नहीं है। वह कहती है कि सभी लोग धीरे-धीरे मान जाएंगे। क्योंकि उसके इस काम के पक्षधर खुद उसके पति ही हैं।

गंदी फब्तियां कसते हैं कुछ लोग, कुछ से मिली सराहना

खुशबू की मानें तो राह चलते कुछ लोग उसे परेशान करते हैं। गंदी-गंदी फब्तियां कसते हैं। तो वहीं कुछ लोग देखकर हंसते भी हैं। उसके ई-रिक्शा के आगे-पीछे लहरिया कट मारते हैं। वहीं कुछ लोग उसके काम की सराहना भी कर रहे हैं। उसने बताया कि सदर डीएसपी ने खुद अपना पर्सनल नंबर उसे दिया है और किसी भी तरह के परेशानी होने पर सूचना देने की बात कही है। खुशबू बताती है कि वह हर दिन सुबह 4:00 बजे उठती है और बच्चों के लिए लंच बनाती है। इसके बाद उन्हें स्कूल छोड़ने जाना पड़ता है। बेटे और बेटी के क्लास के टाइमिंग अलग है। मैनेज करके दोनों को स्कूल ले जाना और लाना पड़ता है। वह अपने काम से संतुष्ट है और जो कर्ज उसने ई-रिक्शा के लिए लिया है वह धीरे-धीरे चुकता हो रहा है।

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