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रेलवे लाइन संघर्ष समिति का दो दिवसीय सत्याग्रह 1 दिन मे समाप्त

yes raj खगौल।बुधवार को दानापुर मंडल रेल प्रबंधन कार्यालय के पास दो बिहटा-अरवल-औरंगाबाद रेलवे लाइन संघर्ष समिति के 10 सदस्यीय शिष्टमंडल द्वारा दो दिवसीय सत्याग्रह का आयोजन किया गया जहां मौके पर विधायक महानंद सिंह और विधानसभा परिषद महाबली सिंह पहुंचकर संघर्ष समिति के मांगों को दानापुर रेल प्रबंधक के सामने रखा।

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जहां दो दिवसीय चलने वाला सत्याग्रह बुधवार को ही समाप्त हो गया। मौके पर सत्याग्रह को संबोधित करते हुए रेलवे लाइन संघर्ष समिति के मुख्य संयोजक मनोज सिंह ने कहा कि नौ वर्षों के संघर्ष का परिणाम है कि यह रेल लाइन योजना आज जिंदा है। वरना रेलवे बोर्ड इसका फाइल बंद कर दिया था। जबतक बिहटा-अरवल-औरंगाबाद रेल लाइन योजना पूरा नहीं हो जाता, तबतक संघर्ष जारी रहेगा। बिहार विधान परिषद् सदस्य प्रो. रामबली चंद्रवंशी ने कहा कि केंद्र सरकार सिर्फ सर्वे के नाम पर ही लोगों को भरमा रखी है। 42 वर्षों से लंबित इस योजना के लिये पहला सर्वे का काम रेल मंत्री मंत्री रहते नीतीश कुमार वर्ष 2004 में करवाया था। इस योजना के लिये 16 अक्टूबर, 2007 को तत्कालीन रेल मंत्री रहते लालू प्रसाद यादव ने शिलान्यास किया था। जिला परिषद् प्रतिनिधि श्याम सुंदर ने कहा कि सर्वे और प्राक्कलन के बाद भी सरकार सो रही है। तब आंदोलन का रूख अखि्तयार किया गया।

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नौ वर्षों के आंदोलन का परिणाम है कि केंद्रीय बजट में वर्ष 2019 में 20 करोड़ तो वर्ष 2020 में 25 करोड़ रुपये, वर्ष 2022 में 50 करोड़ रुपये तो इस वर्ष 20 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है। अब लड़ाई आरपार होगी।
बिहार का इकलौता अरवल जिला है जो आजतक रेललाइन से नहीं जुड़ा है। जबकि पटना जिले के पालीगंज, दुल्हिन बाजार, जहानाबाद संसदीय क्षेत्र का अरवल के साथ ही काराकाट संसदीय क्षेत्र के शमशेरनगर, दाउदनगर, अरंडा, जिनोरिया, ओबरा, भरथौली समेत औरंगाबाद की 90 फीसद आबादी लाभान्वित है। 42 वर्षों से लंबित बिहटा-अरवल-औरंगाबाद रेललाइन वर्ष 1982 में ही लोकसभा और राज्यसभा से पारित है। मौके पर अभिषेक रंजन, प्रवीण कुमार, मो, शब्बा करीम, चंदन कुमार, रामआयोध्या प्रसाद विद्यार्थी, धनंजय कुमार, रजनीश कुमार, सुशील सम्राट आदि लोग मौजूद थे।

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