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विपक्षी एकता के नए सूत्रधार बन सकते हैं स्टालिन, एक मंच पर जोड़े कई दिग्गज

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में अभी एक साल का वक्त बाकी है, लेकिन सियासी बिसात बिछाना शुरू हो गई है। भाजपा एक तरफ 2014 और 2019 से भी बढ़ी जीत 2024 में दर्ज करने की कवायद में लगी है तो दूसरी तरफ पीएम मोदी को केंद्र की सत्ता में हैट्रिक लगाने से रोकने के लिए विपक्षी एकती का तानाबाना इन दिनों दक्षिण भारत में बुना जा रहा है। इस विपक्षी एकजुटता के नए सूत्रधार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन बन रहे हैं, जिन दलों को कांग्रेस साथ लेने में सफल नहीं हो पा रही थी, उन छत्रपों को वो अपने मंच पर सिर्फ साथ लाए ही नहीं बल्कि भाजपा के हथियार से ही पीएम मोदी को मात देने का एजेंडा भी सेट कर रहे हैं।

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चेन्नई में एकजुट हुए विपक्षी दलों के नेताओं से कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनाव इसलिए नहीं है कि इसमें कौन जीतता है बल्कि इसलिए है कि इसमें किसको नहीं जीतना चाहिए। स्टालिन ने कहा कि यह मेरे जन्मदिन का समारोह नहीं है बल्कि विपक्षी एकता की शुरुआत है। अब एमके स्टालिन ने एक महीने के बाद फिर विपक्षी दलों को सामाजिक न्याय सम्मेलन के नाम पर इकट्ठा किया है और उन्हें 2024 में भाजपा के खिलाफ अहंकार छोड़कर एकजुट होने की अपील की है।

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‘ऑल इंडिया फेडरेशन फॉर सोशल जस्टिस’ के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम में डीएमके के प्रमुख एमके स्टालिन, कांग्रेस के अशोक गहलोत, जेएमएम हेमंत सोरेन, आरजेडी के तेजस्वी यादव और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव में शामिल हुए थे। इसके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी राजा, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह, टीआरएस नेता के केशव राव और एनसीपी नेता छगन भुजबल शिरकत किए।सामाजिक न्याय सम्मेलन में एमके स्टालिन ने भाजपा को हराने के लिए विपक्षी दलों से अपने-अपने अहंकार को दरकिनार कर एक साथ आने का आह्वन किया।

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