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टोल टैक्स का अंदाज बदला अंदाज, फास्टैग से एक दिन में रिकॉर्ड 193.15 करोड़ रुपये का कलेक्शन

  • एक दिन में हुआ 1.16 करोड़ का रिकार्ड लेनदेन

नई दिल्ली। भारत में टोल कलेक्शन आए दिन रिकॉर्ड बना रहा है। जारी किए गए आंकड़ो के मुताबिक फास्टैग से टोल कलेक्शन 29 अप्रैल को 193.15 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है। सिर्फ एक दिन में 1.16 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है। एनएचएआई ने बयान में कहा कि सरकार ने फरवरी में 2021 में फास्टैग को अनिवार्य कर दिया था। उसके बाद फास्टैग कार्यक्रम के तहत टोल प्लाजा 770 से बढ़कर 1,228 पहुंच गए। इसमें 339 राज्य टोल प्लाजा शामिल हैं। इसमें ‘फास्टैग रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन’ टेक्नॉलोजी का उपयोग किया जाता है।

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इससे यूजर्स को टोल प्लाज पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ती और वह कुछ ही सेकेंड में टोल का भुगतान कर आगे बढ़ जाता है। इससे टोल प्लाजा और नेशनल हाईवे पर जाम लगने की समस्या भी हल हुई है। भुगतान बैंक वॉलेट से जुड़े फास्टैग के माध्यम से डिजिटल रूप से किया जाता है। इस प्रक्रिया के आने से ज्यादातर जगहों पर पर्ची से टोल कलेक्शन समाप्त हो चुका है। एनएचएआई ने कहा कि टोल कलेक्शन में प्रभावी उपयोग के बाद फास्टैग ने देश के 50 से अधिक शहरों में 140 से अधिक पार्किंग स्थलों में भुगतान को आसान बनाया है। एनएचएआई ने यह भी कहा कि वह देश में और सुगम टोल व्यवस्था के लिए ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम बेस्ड सिस्टम लागू करने के लिए कार्यों को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहा है।फास्टैग से टोल कलेक्शन हर दिन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रहा है। करोड़ों में हो रहे टोल कलेक्शन से सरकार ने देश हित में अच्छा धन इकठ्ठा कर रही है।

क्या है फास्टैग

फास्टैग एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन का एक आसान और सहज तरीका है। दरअसल जो भी वाहन राष्ट्रीय राजमार्ग से होकर गुजरते हैं उन्हें सरकार को टोल टैक्स देना होता है और टोल टैक्स की वसूली के लिए हाईवे पर या राष्ट्रीय राजमार्ग पर जगह-जगह टोल प्लाजा सेंटर बनाए जाते हैं। यहां से गुजरने वाले सभी वाहनों को टोल टैक्स देना पड़ता है। अभी तक तो सभी लोग कैश में टोल टैक्स देते थे, परंतु अब सरकार ने इसको ऑनलाइन कर दिया है। टोल टैक्स प्लाजा को ऑनलाइन करने के लिए जो तरीके अपनाए गए हैं उसे ही फास्टटैग कहा जाता है। फास्ट टैग नियम के तहत सभी चार पहिया वाहनों में फास्ट टैग लगवाना पड़ता है। वाहनों पर फास्टैग लगाने के लिए वाहन मालिकों को पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है। जिसके बाद उनके वाहनों के लिए ऑनलाइन टोल टैक्स जारी किया जाता है। फास्टैग लगवाने के बाद वाहन मालिकों को टोल टैक्स का भुगतान कैश में नहीं करना पड़ेगा, बल्कि फास्टैग की सहायता से ऑनलाइन से ही ऑटोमेटिक हो जाएगा।

कैसे काम कर है फास्टैग

आमतौर पर चार पहिया वाहनों के विंडस्क्रीन पर ही फास्टैग को लगाया जाता है। और इस फास्टैग में (RFID) रेडियो फ्रिकवेंसी आइडेंटिफिकेशन लगा होता हैं। इस तरह से आपके वाहन जैसे टोल प्लाजा सेंटर और की रेंज में आता है तो टोल प्लाजा पर लगा हुआ है सेंसर आपके विंडस्क्रीन पर लगे हुए फास्ट टैग से संपर्क साधता है और इससे आपकी टोल प्लाजा पर लगने वाले टोल टैक्स सीधे आपके अकाउंट से कट जाता है और आप बिना किसी परेशानी के और बिना रुके हुए चलते चलते अपना टोल टैक्स आसानी से जमा कर देते हैं। आपके विंडस्क्रीन पर लगा हुआ फास्ट टैग टोल प्लाजा पर लगे हुए सेंसर के संपर्क में आते ही सक्रिय हो जाता है। और अपना कार्य बखूबी करने लगता हैं। और जब आपकी फास्टैग अकाउंट की राशि जब समाप्त हो जाएगी तो इसके बाद आपको फिर से रिचार्ज करवाना पड़ता है। फास्ट टाइप के समय सीमा अधिकतम 5 वर्षों तक होती है एक बार फास्टैग गाड़ी पर लगाने के बाद उसे 5 वर्षों तक रिचार्ज कर – कर के चला सकते हैं इसके बाद अर्थात 5 वर्षों के पश्चात आपको अपने वाहन पर नया फास्टैग लगाना होगा। 

पास के ग्रामीणों के लिए विशेष सुविधा

यदि कोई गांव राष्ट्रीय राजमार्ग के आसपास होते है तो 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी गांव के वहां चालकों को टोल टैक्स के रूप में ₹275 देने होंगे जो उनके लिए पूरे 1 महीने के लिए होगा। और वह अपने आधार कार्ड को दिखाकर इस सुविधा का लाभ आसानी से उठा सकते हैं। अभी तक तो फास्टैग को भारत कुछ गिने-चुने शहरों में ही लगाया गया था लेकिन इसकी सफलता को देखते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री के द्वारा अब इससे पूरे देश भर में सभी टोल प्लाजा पर लागू करने का निश्चय किया गया है।

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