लद्दाख ने बनाया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड : 13,862 फीट की ऊंचाई और बर्फ से जमी पेंगोंग झील पर 21 किमी की दौड़
- ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ का हिस्सा, लद्दाख ने हॉफ मैराथन में रचा इतिहास
- जलवायु परिवर्तन पर जागरुकता के लिए दौड़
लेह। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में शून्य से कम तापमान में पहली बाक 21 किलोमीटर की हॉफ मैराथन का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। यह दौड़ 13,862 फीट की ऊंचाई पर आयोजित की गई। इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दुनिया की सबसे ऊंची जमी हुई झील पर हाफ मैराथन के रूप में दर्ज किया गया। भारत और चीन की सीमा पर सर्दियों के दौरान तापमान माइनस 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इससे 700 वर्ग किलोमीटर में फैली पेंगोंग झील (खारे पानी की झील) जम जाती है। हॉफ मैराथन में हिस्सा लेने वाले धावक इस झील के ऊपर भी दौड़े। लेह जिला विकास आयुक्त श्रीकांत बालासाहेब सुसे ने पीटीआई को बताया कि 4 घंटे तक चली मैराथन सोमवार को लुकुंग से शुरू हुई और मान गांव में समाप्त हुई।
श्रीकांत बालासाहेब सुसे के मुताबिक, इस दौड़ में हिस्सा लेने वाले 75 प्रतिभागियों में से किसी के घायल होने की सूचना नहीं है। इस मैराथन का आयोजन जलवायु परिवर्तन को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए किया गया था। जलवायु परिवर्तन और हिमालय को बचाने की आवश्यकता के बारे में लोगों को याद दिलाने के लिए इसका आयोजन ‘लास्ट रन’ के नाम से किया गया था। इस मैराथन का आयोजन एडवेंचर स्पोर्ट्स फाउंडेशन ऑफ लद्दाख ने लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद, पर्यटन विभाग तथा लद्दाख और लेह जिला प्रशासन के सहयोग से किया। श्रीकांत बालासाहेब सुसे ने कहा कि पहली पेंगोग फ्रोजन लेक हाफ मैराथन अब आधिकारिक रूप से गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गई है।
उन्होंने कहा कि इस मैराथन का आयोजन खेलों के माध्यम से जागरुकता फैलाने के अलावा लद्दाख में स्थायी शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किया गया। इससे यहां के लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। यह केंद्र सरकार की ओर से घोषित ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ का हिस्सा है। मैराथन को मुख्य कार्यकारी पार्षद,लेह ताशी ग्यालसन ने झंडी दिखाकर रवाना किया। मैराथन के रूट पर मोबाइल एंबुलेंस के साथ-साथ एनर्जी ड्रिंक्स, मेडिकल टीम और ऑक्सीजन सपोर्ट सहित 5 एनर्जी स्टेशन स्थापित किए गए थे। जिला विकास आयुक्त ने बताया कि मैराथन में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों ने पहले 6 दिनों तक लद्दाख के मौसम के अनुसार खुद को ढाला। उसके बाद उनका मेडिकल परीक्षण भी किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे दौड़ने के लिए फिट हैं।