- यह जनगणना समाज में उत्पन्न कर सकता है भेदभाव
पटना। राज्य में जारी जाति आधारित जनगणना के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में एक साथ तीन जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। यह याचिका शुभम की ओर से पटना हाईकोर्ट में दायर की गई है। याचिका में जाति आधारित जनगणना को रद्द करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि जाति आधारित जनगणना समाज में भेदभाव उत्पन्न कर सकता है। जिसकी वजह से भेदभाव बढ़ने की आशंका है। जाति आधारित राजनीति को रंग देने के लिए ही बिहार सरकार मनमाने ढंग से जाति आधारित जनगणना करा रही है।
याचिका में इस बात का जिक्र किया गया है कि केंद्र सरकार जाति आधारित जनगणना नहीं करा रही है, तो बिहार सरकार आकस्मिक निधि के फंड से 500 करोड़ रुपए खर्च करके बिहार में जाति आधारित जनगणना क्यों करा रही है। याचिका में यह दलील दी गई है कि जाति आधारित जनगणना बिहार के लिए सही नहीं है। इसीलिए इसे रद्द करने की जरूरत है। याचिकाकर्ता शुभम ने सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा 7 मार्च 2023 को जारी की गई अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है। जिसकी संभावित सुनवाई 18 अप्रैल को होनी है। अब देखना होगा कि पटना हाईकोर्ट इस याचिका पर क्या रुख अख्तियार करता है।