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भारत में पिछले 10 साल में दोगुना हुई विचाराधीन कैदियों की संख्या, राज्यों की जेलों में सबसे ज्यादा भीड़

  • महज 22 फीसदी ही हुए दोषी करार
  • जेलों में तय सीमा से 50 फीसदी अधिक कैदी भरे

नई दिल्ली। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में कोर्ट में लंबित मामलों के आंकड़े की जानकारी साझा की है , जिसमें उन्होंने बताया कि देश में वकीलों की कमी के चलते करीब 63 लाख से ज्यादा मामले लंबित हैं। इस बयान के बाद लोगों ने इस पर चिंता जताई थी और कुछ दिनों तक इसकी खूब चर्चा भी हुई। हालांकि भारत में ये समस्या पिछले कई दशकों से चली आ रही है, इसे लेकर अब एक रिपोर्ट जारी हुई है। जिसमें जेल में सजा काट रहे कैदियों का आंकड़ा दिया गया है। इस चौंकाने वाली रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले 10 सालों में जेल में मौजूद कैदियों की संख्या करीब दोगुनी हो गई।

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इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे अलग-अलग राज्यों में लगातार कैदियों की संख्या बढ़ती जा रही है और तमाम जेलें खचाखच भरी हुई हैं। देश की जेलों में महज 22 फीसदी कैदी ही ऐसे हैं जिन्हें दोषी करार दिया गया है, यानी जिनका ट्रायल पूरा हो चुका है। वहीं 77 फीसदी ऐसे कैदी हैं, जिनके केस का ट्रायल चल रहा है या फिर अब तक शुरू भी नहीं हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की 54 फीसदी जेलें ओवरक्राउडेड हैं। जेलों को लेकर जारी हुई इस रिपोर्ट में अलग-अलग राज्यों के आंकड़े भी दिए गए हैं। जिसमें बताया गया है कि कैदियों की सबसे ज्यादा भीड़ कौन से राज्य में है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कुल 17 ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं वहां की जेलों में 100 फीसदी ऑक्यूपेंसी है। इनमें अंडमान निकोबार, आंध्र प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, गोवा, लद्दाख, केरल और लक्षद्वीप शामिल हैं। सात राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जहां पर ऑक्यूपेंसी 100 से 120 परसेंट तक है। इनमें दादर एंड नागर हवेली, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य शामिल हैं।
अब कुल 6 ऐसे राज्य भी हैं जहां ऑक्यूपेंसी रेट 120 से लेकर 150 तक पहुंच गया है। यानी जेलों में तय सीमा से 50 फीसदी अधिक कैदी भरे हुए हैं। इन राज्यों में बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और महाराष्ट्र हैं। इसके अलावा 6 ऐसे राज्य/केंद्र शासित प्रदेश हैं जहां पर ऑक्यूपेंसी रेट 150 से 185 परसेंट तक हो चुका है। इनमें राजधानी दिल्ली, मध्य प्रदेश, मेघालय, सिक्किम, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्य शामिल हैं। यानी इन राज्यों की जेलों में लगभग दोगुने कैदी रखे गए हैं।

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जेलों को लेकर जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे पिछले 10 साल में कैदियों की संख्या में काफी बड़ा इजाफा हुआ है। जहां साल 2010 में अंडरट्रायल मामलों की संख्या 2.4 लाख थी, वहीं 2021 में ये बढ़कर 4.3 लाख हो गई। जिसका मतलब 10 साल में कुल 78 फीसदी का इजाफा हुआ है। नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में अंडर ट्रायल कैदियों की संख्या में काफी ज्यादा इजाफा देखने को मिला है। अब रिपोर्ट में ये भी आंकड़ा दिया गया है कि अंडर ट्रायल कैदी कितने साल से जेल में हैं। करीब 88,725 कैदियों ने 1 से 3 साल जेल में बिताए। जो कुल 20.8 फीसदी हैं। इसमें यूपी सबसे आगे है, जहां 21,244 कैदियों को एक से तीन साल तक जेल में रखा गया है। वहीं इसके बाद बिहार (8,365), महाराष्ट्र (7,599) और मध्य प्रदेश (6,778) शामिल हैं।

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