BiharNationalSupaulधार्मिक ज्ञान

आध्यात्मिकता की ओर चलिए,सदयुक्ति से होते हैं ईश्वर के दर्शन : महर्षि मेंहीँ

सुरेश कुमार सिंह सिमराही राघोपुर सुपौल

गुरुवार को नगर पंचायत सिमराही परमेश्वरी सिंह यादव टोला वार्ड नंबर 03 मे महर्षि मेंहीँ आश्रम सत्संग प्रेमियो एवं धर्म प्रेमियो द्वारा सोभा यात्रा निकाल कर सत्संग एवं भंडारा का आयोजन जमीन दाता एवं आयोजन कर्ता नगर पंचायत सिमराही चेयरमैन प्रतिनिधि विजय चौधरी के द्वारा किया गया किया गया। जहा संत सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की 139 वी जयंती का भी आयोजन बड़े ही भक्तिमय एवं उत्साह पुर्बक मनाया गया । मौके पर महान संत अनंत श्री विभूषित परम पूज्य गुरुदेव महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के त्रय लोक पाद्-पदमों में कोटि कोटि नमन करते हुए कहा की बैसाख शुक्ल चतुर्दशी 4 मई को सदगुरू महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की पावन जयंती देश विदेश मे बड़े धूम धाम से मान्य जाता है। वह अपने प्रवचन के दौरान कहा करते थे कि सदयुक्ति से ईश्वर के दर्शन होते है। ईश्वर की ओर मन लगाइए। मन लगाने का यत्न संतो से जानिए | सद्युक्ति पाकर साधना करते-करते ईश्वर-दर्शन होना ही है। जब आप इसे एक बार भी शुरू कर दीजिएगा तो उसका अंत नही होगा। यह आपको महाभय से बचावेगा और इसका थोड़ा अभ्यास भी बड़ा फलदायक होगा। यह करने से आपको बारंबार मनुष्य शरीर मिलेगा। वही मनुष्य इस शरीर के जीवनकाल मे ही जो मोक्ष पा लेता है जो वही ईश्वर को ठीक-ठीक जानता है। उन्होंने आगे कहा।

आध्यात्मिकता की ओर चलिए संसार की सँभाल बहुत जरूरी है। संसार मे बहुत थोड़ी देर का आराम मिलता है। इस आराम या चैन का सुख क्षणिक है अपूर्ण है। किंतु संसार के बाद का सुख कल्याणपूर्ण और नित्य है। संतो ने कहा है कि संसार के कामो को भी करो और संसार के पार मे भी देखने की कोशिश करो। मोके पर जाप प्रदेश उपाध्यक्ष परमेश्वरी सिंह यादव ने कहा की
“पलटू कारज सब करै सुरति रहै अलगान”
इसके लिए यत्न सीखो और अमल (अभ्यास) करो। उस अभ्यास को बढ़ाओ। ऐसी बात नही कि संसार का काम करते हुए वह अमल नही होगा। संतो ने कहा है कि नैतिकता के पतन से दु:ख पाओगे। सदाचारहीन होने से नैतिक पतन होगा। सदाचार का पालन करो। सदाचार का पालन करना, बिना आध्यात्मिक ज्ञान के नही होगा। केवल आधिभौतिक पदार्थों को लेते रहो, तब तुम सदाचारी बनोगे, यह नही होगा। संसार का पदार्थ येन-केन विधि से ले सकोगे, किंतु जो रूहानी चीज है, उसको जिस-तिस तरह से नही ले सकोगे। दुरुस्त और ठीक एखलाक वा त्रुटि-विहीन सदाचार से ही अध्यात्म-तत्त्व का पाना हो सकता है, जिसमे शांतिदायक सुख है।सदाचार के पालन मे लगे रहने से नैतिकता का पतन नही होगा और जनता मे नैतिकता की बढ़ने से संसार सुखी हो जाएगा। यदि सदाचार से गिरे तो नैतिक पतनवालो को संसार मे चैन कहाँ ? यह विश्वास मत करो कि केवल भौतिकवाद मे ही शान्ति और संतुष्टि मिलेगी, ऐसा कभी नही हुआ और न कभी होगा। आध्यात्मिकता की ओर बढ़े और सांसारिक वस्तुओ को भी सँभालते रहो। मै देखता हूँ कि आजकल देश मे नैतिक पतन हो गया है। जो जिस कदर खाने-पहनने पाते है, उसी मे किसी तरह गुजर करते हैं। किंतु सदाचार का पालन हो, अध्यात्म-ज्ञान हो, तो जिन्हें खाने-पहनने कम मिलते है, उन्हे विशेष मिल जाय। हमारी सरकार देश को सुखी बनाने के लिए विधान बनाती है, किन्तु उस विधान के रहते हुए भी नैतिक पतन के कारण लोग अन्न और वस्त्र की कमी को अत्यधिक महसूस ही करते है। इसलिए नैतिक पतन न हो, इसके लिए सदाचार का पालन कीजिए। इस सदाचार का अवलम्ब ईश्वर की भक्ति है। ईश्वर की भक्ति कीजिए अर्थात् आध्यात्मिकता की ओर चलिए। योग, ज्ञान और ईश्वर भक्ति; सब संग-संग मिले-जुले हुए है। बिना ज्ञान के किसकी भक्ति हो, जान नही सकते। सदाचार के पालन से संसार मे सुख और परलोक मे भी मोक्ष मिलेगा। सब लोगो को इसका पालन करना चाहिए।सब कोई कुशल से रहिए। आनंद से रहिए । मेल से रहिए ।

Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button