समस्तीपुर में पांव पसार रहा चिकन पॉक्स, सकते में स्वास्थ्य विभाग, सरायरंजन, वारिसनगर, सिंघिया आदि इलाके प्रभावित
- सदर अस्पताल में रोजाना 10 से 12 चिकन पॉक्स के मामले सामने आ रहे हैं
- चिकन पॉक्स का ज्यादातर मामला बच्चों में देखा जा रहा है
- सदर अस्पताल के पीकू वार्ड में किया जा रहा है कुछ पीड़ितों का उपचार
समस्तीपुर। मौसम बदलने के साथ ही समस्तीपुर जिले में चिकन पॉक्स पांव पसार रहा है। ताजा मामला जिले के सरायरंजन, वारिसनगर, सिंघिया आदि इलाके से आया है। इस मामले में कुछ पीड़ितों का उपचार सदर अस्पताल के पीकू वार्ड में किया जा रहा है। सदर अस्पताल में रोजाना 10 से 12 चिकन पॉक्स के मामले सामने आ रहे हैं। ज्यादातर यह मामला बच्चों में ज्यादा देखा जा रहा है। सदर अस्पताल के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर नागमणि राज बताते हैं कि मौसम बदलने के साथ चिकन पॉक्स की संभावना रहती है। ऐसी स्थिति में साफ-सफाई ज्यादा जरूरी हैए चिकन पॉक्स 3 से 4 दिनों में स्वतः भी ठीक हो जाता है। इसमें स्वच्छ रहना सबसे जरूरी है।
इन इलाकों में देखा जा रहा है प्रभाव
समस्तीपुर जिले के वारिसनगर के खजूरीए सरायरंजनए मुफस्सिल थाना क्षेत्र के जितवारपुर, मोरदिवा, पटोरी, ताजपुर, कल्याणपुर, सिंघिया के कुंडल, विभूतिपुर आदि इलाके में सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 56 मरीज चिकन पॉक्स से प्रभावित हैं जिनमें से अधिकतर ठीक हो चुके हैं। गुरुवार को सदर अस्पताल में पांच नए मामले सामने आये हैं।
चिकन पॉक्स के लक्षण
सदर अस्पताल के डॉक्टर नागमणि राज बताते हैं कि चिकन पॉक्स के लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के 10 से 21 दिन बाद शरीर पर दिखाई देने लगते हैं। इसमें शुरुआत आमतौर पर बुखार, सिरदर्द, भूख न लगना और थकान जैसे लक्षणों से शुरू होती है। चिकन पॉक्स के शुरुआती लक्षणों के दिखाई देने के 1 या 2 दिन बाद चेहरे, छाती और पीठ पर लाल रंग के दाने दिखाई देने लगते हैं और फिर पूरे शरीर में फैल जाते हैं। ये चकत्ते आपकी पलकों के पास, मुंह के अंदर और यहां तक कि प्राइवेट पार्ट पर भी दिखाई दे सकते हैं। शुरुआत में ये चकत्ते उभरे हुए होते हैं लेकिन बिगड़ने पर मवास से भरे फफोले में बदल जाते हैं। बाद में ये छाले खुल जाते हैं और सूख कर पपड़ी बन जाते हैं। अधिकतर लोग लगभग 4 से 7 दिनों तक इसके लक्षणों का अनुभव करते हैं।
गंभीर लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें
102 डिग्री या उससे अधिक बुखार रहना। अगर 4 दिनों से अधिक समय तक बुखार रहता है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। चकत्तों में दर्द, सूजन या मवाद से भरे फफोले बन जाना। तेज सिरदर्द या फिर भ्रम की स्थिति रहना। बार.बार नींद आना। नहाने और दवा लेने के बाद भी खुजली रहना। निमोनिया; फेफड़ों में संक्रमण, के लक्षण. सांस लेने में कठिनाई, खांसी आदि। एन्सेफलाइटिस ;मस्तिष्क की सूजन, के लक्षण. उल्टी, तेज सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, नींद आना आदि।
चिकन पॉक्स के कारण
चिकन पॉक्सए वैरिकाला.जोस्टर वायरस नाम के वायरस के संपर्क में आने के कारण होता है। यह एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है जो इन तरीकों से फैलता हैरू चिकन पॉक्स से पीड़ित व्यक्ति के छींकने या खांसने से। संक्रमित व्यक्ति के फफोले से निकलने वाले तरल पदार्थ के संपर्क में आने से। ये संक्रमण, किसी दाद वाले व्यक्ति के संपर्क में आने से भी फैल सकता है।
चिकन पॉक्स की रोकथाम कैसे करें
डॉ नागमणि राज ने बताया कि चिकन पॉक्स से बचाव के लिए टीकाकरण सबसे अच्छा निवारक उपाय है। इस वायरस से दूरी बनाने के लिए आपको सिर्फ वैरिकाला वैक्सीन की दो खुराक की आवश्यकता होती है। आमतौर पर, 13 वर्ष से कम के उम्र के बच्चे को पहली डोज जन्म के 12-15 महीने के बीच और दूसरी डोज 4-6 वर्ष की उम्र में दी जानी चाहिए। वहीं 13 वर्ष से अधिक की उम्र के व्यस्क, जिन्होंने अभी तक वैक्सीन नहीं लगवाई है उन्हें दोनों खुराक के बीच 4.8 सप्ताह का अंतर रखना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष निर्देश-
- वे महिलाएंए जो गर्भधारण की योजना बना रही हैं, उन्हें गर्भ धारण करने से कम से कम 28 दिन पहले तक पहले टीका वैक्सीन की दूसरी खुराक ले लेनी चाहिए।
- अगर कोई गर्भवती महिला चिकन पॉक्स से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आती है, तो उसे तुरंत डॉक्टर या अस्पताल से संपर्क करना चाहिए। ऐसे मामलों में, उसे तुरंत वैरिकाला.जोस्टर इम्युनोग्लोबुलिन का इंजेक्शन दिया जाएगा। ये टीका संक्रमण को रोकने में बेहद प्रभावी है, लेकिन टीका ही एक मात्र बचाव का तरीका नहीं है। कुछ लोग टीका लगने के बाद भी संक्रमण के संपर्क में आ सकते हैं। हालांकि, उन्हें आम तौर पर हल्के लक्षणों का अनुभव होता है। आपको हल्का बुखार, शरीर पर लाल रंग के दाने या छाले हो सकते हैं। चिकन पॉक्स का टीका दाद को बढ़ने से रोक सकता है।