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गोपाल खेमका हत्याकांड को लेकर बेउर जेल में पुलिस की बड़ी छापेमारी


आई.जी., एस.एस.पी., आयुक्त और 14 थानों की संयुक्त कार्रवाई में मचा हड़कंप

डेढ़ घंटे तक चला सघन तलाशी अभियान, तीन मोबाइल बरामद, कोई ठोस सुराग नही

फुलवारी शरीफ.(अजीत) चर्चित व्यवसायी गोपाल खेमका. की हत्या के बाद राजधानी पटना में हड़कंप मचा हुआ है. इसी सिलसिले में पटना पुलिस ने बेउर जेल में बड़े पैमाने पर छापेमारी अभियान चलाया. शक जताया जा रहा था कि खेमका हत्याकांड की साजिश जेल के भीतर से रची गई थी, लेकिन अब तक इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है.सरकार इस हत्याकांड को बेहद गंभीरता से ले रही है. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक हो चुकी है और पुलिस प्रशासन पर नतीजे देने का दबाव भी साफ दिख रहा है।

शनिवार दोपहर पटना जोन के आई.जी., आयुक्त पटना प्रमंडल, एस.एस.पी., सिटी एस.पी., कई डी.एस.पी., 14 थानों की पुलिस और सैकड़ों जवानों के साथ बेउर जेल पहुंचे. डेढ़ घंटे चले इस तलाशी अभियान में जेल के हर वार्ड, बैरक, मंदिर, शौचालय और संदिग्ध स्थानों की सघन जांच की गई. पुलिस ने कैदियों के झोले, कंबल, चादर, पर्दे और यहां तक कि गमछों तक को खंगाला।

इस ऑपरेशन के दौरान पुलिस को जेल परिसर में लावारिस हालत में फेंका गया तीन मोबाइल फोन मिले, जिनमें एक स्मार्टफोन भी शामिल है. फिलहाल इन मोबाइलों की जांच की जा रही है कि इनका इस्तेमाल किनके द्वारा और किस उद्देश्य से किया गया। छापेमारी के दौरान करीब 100 से अधिक कैदियों से पूछताछ की गई. कुछ कैदियों को अलग वार्ड में ले जाकर गहन पूछताछ भी की गई. हालांकि पुलिस को खेमका हत्याकांड से संबंधित कोई ठोस सुराग अभी तक हाथ नहीं लगा है. पुलिस इस छापेमारी को रूटीन कार्रवाई बता रही है, लेकिन इतने बड़े स्तर पर अधिकारियों की मौजूदगी से यह स्पष्ट है कि मामला अत्यंत संवेदनशील है।

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जेल के भीतर भारी फोर्स की मौजूदगी से कैदियों के बीच अफरातफरी का माहौल बन गया. जेल के बाहर भी परिजनों और वकीलों की आवाजाही पर अस्थायी रोक लगाई गई. सूत्रों की मानें तो खेमका हत्याकांड के पीछे का उद्देश्य और षड्यंत्र अब भी स्पष्ट नहीं हो सका है. इससे पहले खेमका के बेटे की भी हत्या हो चुकी है, जिससे यह मामला और भी पेचीदा हो गया है।

फिलहाल पुलिस अन्य स्रोतों से जांच को आगे बढ़ा रही है. तकनीकी सर्विलांस, कॉल डिटेल और आपराधिक नेटवर्क की कड़ियों को जोड़ने की कोशिश की जा रही है। इस छापेमारी को राजधानी में अब तक की सबसे बड़ी जेल सतर्कता कार्रवाई माना जा रहा है. पुलिस यह जानने की कोशिश में जुटी है कि जेल के भीतर से कौन लोग बाहर के शूटरों और नेटवर्क से संपर्क में थे. आने वाले दिनों में अन्य जेलों में भी इसी तरह की कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है.

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