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अज्ञानता, मनोविकार और दुर्गुणों से मुक्त होना ही सच्ची शिवरात्रि मनाना है : ब्रह्माकुमारी रंजू दीदी

सुरेश कुमार सिंह (सिमराही, राघोपुर, सुपौल) की रिपोर्ट

सुपौल। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सिमराही बाजार के तत्वाधान में 87 वी त्रिमूर्ति शिव जयन्ती महोत्सव के उपलक्ष्य में शिब झण्डोंतोलन एवं शिब औऱ शंकर के चैतन्य झाँकी के साथ नगर परिक्रमा किया।
उक्त कार्यक्रम का उदघाटन ब्रह्माकुमारीज संस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रीय प्रभारी राजयोगिनी रंजू दीदी, सिमराही सेवा केंद्र प्रभारी बबीता दीदी,नगर के मुख्य पार्षद यशोधा देबी,उप मुख्य पार्षद विनीता देवी,समाजसेवी विजय चौधरी, ब्यबसायिक अनिल महतो, पूर्व प्रमुख घैलाढ़ विनय वर्धन, ब्रह्माकुमार किशोर भाईजी इत्यादियो ने संगठित रूपमें दीप प्रज्वलित एवं शिब और शंकर के चैतन्य झाँकी का पूजा करके शुभारंभ किया।
ब्रह्माकुमारीज संस्थान के क्षेत्रीय प्रभारी राजयोगिनी रंजू दिदी जी ने त्रिमूर्ति शिब जयन्ती अथवा महाशिवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा की इस धरती पर काली अँधियारी रात के समय पर जब सम्पूर्ण विश्व के हालत बहुत नाजुक औऱ दयनीय हो जाते है तब परमात्मा शिब अवतरण होता है। शिवरात्रि हमारे लिए हीरे तुल्य है ।क्योंकि इस समय हम सभीआत्माएं परमपिता परमात्मा शिव भोलेनाथ के ज्ञान और योग द्वारा अपने अंदर के दु:ख देने वाले काम ,क्रोध, लोभ, मोह ,अहंकार, घृणा बैर विरोध मुक्त हो जाते हैं। जिससे हमारा अपना जीवन देवी गुणों से युक्त ,मर्यादा पुरुषोत्तम, हिरे तुल्य बन जाता है ।

शिबरात्री पर लोग उपवास जागरण करते है, उपवास और जागरण का आध्यात्मिक रहस्य जानना और जान कर उसी रिती चलना बहुत जरूरी है।

  • उपवास : उपवास का अर्थ है विकारी दृष्टि व्रतियों से , विकारो से ऊपर उठकर हम ऊपर में वास् करने वाले परमात्मा शिब के साथ का अनुभव करें।
  • जागरण : जागरण का सही अर्थ है जगना या जागृत होना अर्थात अज्ञान की नींद से जागना ओर अपने आपको बुराइयों के प्रभाव और विकारों के प्रभाव से बचाना अर्थात काम ,क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि से स्वयं को मुक्त करना।

उन्होंने कहा महाशिवरात्रि पर्व सभी पर्वों में अपना अलग ही विशेष महत्व रखता है। महाशिवरात्रि माना ही आत्मा और परमात्मा के मिलन का पर्ब । उन्होंने कहा कि सभी मनुष्य आत्माएं जब अज्ञान अंधकार ,आसुरी लक्षणों की प्रकाष्ठा के अंतिम चरण में प्रवेश कर जाती है तब भगवान शिव इस धरती के साथ साथ हम सभी को पवित्र बनाते हैं ।इसी खुशी में शिवरात्रि मनाते हैं ।उन्होंने बताया कि हमें अपने अंदर की बुराई रूपी अक को सिर पर चढ़ाना है तब शिव जी प्रसन्न होंगे।

घृणा, छल, कपट और अहम के विष को मन से मिटाना यही है शिवरात्रि का संदेश

प्रमुख अथिति सिमराही नगर पंचायत के मुख्य पार्षद यसोधा देवी जी ने कहा कि मात-पिता, समाज, देश और दुनिया के लिए सद्भावनाएं जरूरी हैं। इन सब बातों का ज्ञान नई पीढ़ी के लिए आवश्यक है। ब्रह्माकुमारीज संस्था घृणा, छल, कपट, नफरत और अहम के विष को मानव मात्र के अंदर से निकाल कर सच्ची शिवरात्रि का संदेश दे रही है। शांति केवल सकारात्मक सोच और श्रेष्ठ संस्कारों के द्वारा ही आ सकती है। श्रद्धा और परमात्म योग वा ध्यान के बिना सच्ची शक्ति व शांति नहीं मिल सकती है। सच्ची भगवत प्रेम और निस्वार्थ भावना से ही हम समाज की सर्वांगीण सेवा व विकास कर सकते हैं।

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गुणों की श्रेष्ठ धारणा से ही निराशा के भावों का अंत

वरिष्ठ अतिथि समाजसेवी अनिल महतो जी ने कहा कि वर्तमान समय दुनिया संकट के दौर से गुजर रही है। महाशिवरात्रि के इस अवसर पर हम सभी स्वयं को परमात्म गुणों से सम्पन्न कर शांति और प्रेम के प्रकंपन्न फैलाएं। ताकि कभी भी हमारे अंदर निराशा के भाव उत्पन्न न हों। जीवन में धैर्य, दया और करुणा जैसे गुणों से ही श्रेष्ठ जीवन का निर्माण होता है। स्वयं के वास्तविक स्वरूप का ज्ञान होना जरूरी है।

विशिष्ट अतिथि स्वामी नारायण दास जी ने कहा कि जब शिव जो सुख, शांति, प्रेम, करुणा व आनंद का सागर है। उनसे जब हम खुद को जोड़ते है, तो ये गुण हमारे अंदर आते जाते और हम उनके स्वरुप बनते जाते हैं।

उन्होंने कहा कि भारत ने मातृ शक्ति को महत्त्व दिया है इसलिए यहाँ गीता माता, धरती माता, गौ माता, गंगा माता और ऋषि लोग हर स्त्री को माता कहते है। परन्तु आज नारी को भोग की वस्तु मान लिया गया है। दुनिया और भारत को फिर से पावन बनाना है। और मातृ शक्ति को पुनः वापिस सम्मान दिलाना है।

उन्होंने कहा कि किसी भी देवता को परमात्म नम: नहीं कहते हैं। केवल शिव को ही परमात्मा नम: करते हैं। नारी जब परमात्मा शिव से जुडती है तो शिव शक्ति बन जाती है। परमात्मा ने आकर नारी का सम्मान बढाया है, इसलिए हमें भी महिलाओं का मान बढ़ाना है।

राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी बबीता दीदी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि परमात्मा शिव ही वास्तव में सबके सच्चे कल्याणकारी हैं। शिव का अर्थ ही होता है कल्याणकारी। परमात्मा के वास्तविक परिचय के बगैर हमें शांति और शक्ति प्राप्त नहीं हो सकती। आज के हम इसलिए इकट्ठे हुए हैं। ताकि परमात्मा के वास्तविक स्वरूप को समझें।

उक्त कार्यक्रमका संचालन ब्रह्माकुमार किशोर भाई जी ने किया। मौके पर अतुल कुमार, डॉ बिरेन्द्रभाई, डा पी के रंजन, सतीश कुमार, स्वामी नारायण दास,इंद्रदेव भाई ,बेचू भाई, पूर्व प्रमुख विनय वर्धन खोखा यादव , बबीता दीदी ,ब्रह्माकुमार किशोर भाई जी ,बबीता देवी , रघुबीर भगत,संदीप पंसारी,शारदा देवी प्रोफ़ेसर बैजनाथ प्रसाद भगत ,मंजू पंसारी,डॉ शशि भूषण चौधरी, इत्यादि सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे।

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