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बिहार में विनष्ट शराब की बोतल से बनाई जा रहीं चूड़ियां


हजारों महिलाओं को शराबबंदी के चलते मिला रोजगार
छह महीने पहले हुई थी रूपरेखा तैयार
यसराज पटना । बिहार में 2016 से पूर्ण शराबबंदी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मध निषेध कानून को सख्ती से लागू करने का दावा तो किया, लेकिन आए दिन बिहार में शराब के बड़े-बड़े खेप पहुंचते है। पुलिस कार्रवाई करते हुए धर पकड़ भी करती है, लेकिन जो भी शराब बरामद हो रही है उस पर अब बिहार सरकार ने महिलाओ के लिए रोजगार का अवसर बना दिया है। मद्य निषेध, उत्पाद, निबंधन और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संयुक्त प्रयास से पटना के सबलपुर की जीविका दीदियों द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के तहत शराब की नष्ट की गई कांच की बोतल के अवशेषों से कांच की चूड़ियों के उत्पादन का कार्य शुरू किया गया है।


इसकी शुरुआत मध निषेध विभाग ने 15 फरवरी से की है। इसमे अभी नौ जीविका की महिलाएं काम कर रही हैं जबकि लगभग डेढ़ सौ महिलाओं को काम करने का लक्ष्य इस कारखाने में रखा गया है। अभी फिरोजाबाद से आए 14 कारीगर यहां कांच की चूड़ी बनाने का काम कर रहे। साथ ही महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। फिरोजाबाद के रहने वाले कारीगर जफीर आलम ने बताया कि हम लोगो को ढाई महीने के लिए बुलाया गया है। ढाई महीने में हम लोग महिलाओं को पूरी तरह ट्रेनिंग दे देंगे। बड़ी भट्ठी, छोटी भट्ठी से लेकर मशीन चलाने का काम जीविका की महिलाएं करेंगी। अभी महिलाएं चूड़ियो को जोड़ना, सेट करना और कांच को भट्ठी तक लाने का काम कर रही है। वह बहुत जल्द चूड़ी बनाने का काम भी करेंगी। अभी बिहार मे बन रहे चूड़ियों को मार्केट में नहीं भेजा गया है। इस पूरे कारखाने में मुख्य भूमिका निभाने वाली जीविका की सदस्य रोशनी ने बताया कि इस कारखाने में लगभग 70 दीदियों के साथ-साथ उनके ही परिवार से जुड़े हुए अन्य 80 कारीगर हैं, जिन्हें विशेष प्रशिक्षण के लिए फिरोजाबाद भेजा गया।

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