- 2022 में सैन्य ठिकानों के पास घूमा था, ट्रेस नहीं हुआ
नई दिल्ली। साल 2022 में भारत के अंडमान-निकोबार आईलैंड में भी एक फ्लाइंग ऑब्जेक्ट देखा गया था। ये ऑब्जेक्ट बिलकुल उस चीनी बैलून की तरह दिख रहा था जैसा अमेरिका ने 5 फरवरी को 2023 को साउथ कैरोलिना में मार गिराया था। हालांकि, कोई नहीं जानता था कि अंडमान-निकोबार में दिखा ये ऑब्जेक्ट क्या है। भारत सरकार ने भी इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया था, लेकिन अब इसकी जांच की जाएगी।
दरअसल, अमेरिका ने जिस बैलून को मार गिराया था, वो चीन का था और जासूसी कर रहा था। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि वो अंडमान-निकोबार आईलैंड में दिखे ऑब्जेक्ट के मामले में जांच करेंगे जिससे आने वाले खतरों का पता लगाया जा सके। साथ ही सेफ्टी प्रोटोकॉल्स में सुधार किए जा सकें। फ्लाइंग ऑब्जेक्ट अंडमान-निकोबार आईलैंड में दिखा था। ये आईलैंड बे ऑफ बेंगाल में बने भारत के अहम सैन्य बेस के काफी करीब है। इन सैन्य बेस से मिसाइलों का परीक्षण होता है। इसके साथ ही दोनों आईलैंड मलक्का स्ट्रैट के नजदीक हैं। यहां से चीन और नॉर्थ एशियन नेशन्स को एनर्जी के साथ अन्य सामान सप्लाई किए जाते हैं।इस मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा- फ्लाइंग ऑब्जेक्ट अचानक ही अंडमान-निकोबार आईलैंड में लोगों को दिखाई दिया था। ये किसी भी इंडियन रडार सिस्टम पर नहीं दिखा था। इसके पहले की हम ये पता करते कि ये ऑब्जेक्ट कहां से आया है या इसे मार गिराना है या नहीं, ये साउथ-ईस्ट ओशन में चला गया।
भारत और अमेरिका में जिन जासूसी गुब्बारों को देखा गया, उसका इतिहास दूसरे विश्व युद्ध से शुरू होता है। ये कैप्सूल के आकार के होते हैं और कई मीटर लंबे होते हैं। इनका इस्तेमाल आमतौर पर मौसम से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए किया जाता रहा है। चीन का जासूसी गुब्बारा 120 फीट चौड़ा और 130 फीट लंबा था। चीन का दावा है कि ये गुब्बारा भी मौसम की जानकारी जुटाने के लिए ही छोड़ा गया था।इस तरह के गुब्बारे जमीन से 24 हजार से 37 हजार फीट की ऊंचाई पर आसानी से उड़ सकते हैं। हालांकि, चीन का यह गुब्बारा अमेरिका के ऊपर 60 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था। ऐसे गुब्बारों की निगरानी करना बेहद मुश्किल काम है। आम विमान भी 40 हजार फीट तक ही उड़ान भरते हैं, सिर्फ फाइटर जेट्स 65 हजार फीट तक जा सकते हैं। सिर्फ यू-2 जैसे कुछ और जासूसी विमान 80 हजार फीट की ऊंचाई तक जा पाते हैं।कुछ गुब्बारों में इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर या डिजिटल कैमरे लगे होते हैं, जो उनके रेजोल्यूशन के आधार पर बहुत सटीक तस्वीरें खींच सकते हैं। ये रेडियो सिग्नल और सैटेलाइट ट्रांसमिशन क्षमता से भी लैस होते हैं।