महात्मा गांधी के विचारों को कमजोर करके शराबबंदी अभियान को विफल करने की साजिश
पटना से एस आलम कि रिपोर्ट
पटना। बिहार में शराबबंदी के मामले पर पर्यटन मंत्री राजू सिंह के द्वारा गुजरात के तर्ज पर शराब परोसे जाने की मांग पर राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि महात्मा गांधी के विचारों को कमजोर करने के लिए ही नाथूराम गोडसे के विचारों पर चलने वाले इस तरह की बातें कर रहे हैं, और शराबबंदी अभियान को विफल करने के प्रयास में लग गए हैं,यह कहीं से उचित नहीं है अपने ही शपथ से मुकरने वाली उनकी सोंच का स्पष्ट प्रमाण है।

एजाज ने आगे कहा कि सबको पता है की महागठबंधन सरकार के रहते हुए 30 जनवरी 2016 को बिहार में पूर्णतः शराबबंदी लागू हुआ था ।और इसके लिए मानव श्रृंखला बनाया गया था जिसमें रिकॉर्ड तोड़ संख्या में लोगों ने शिरकत की थी और यह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था। लेकिन अफसोस की बात है कि जिन लोगों ने उस समय शपथ लिया था कि ना पियेंगे और ना पीने देंगे वही लोग कहीं ना कहीं शराब बंदी अभियान को विफल करने में लग गए हैं।
ऐसे मामले में राष्ट्रीय जनता दल ने नीतीश सरकार से पूछा है कि आखिर दोहरी नीति और दोहरी विचार नीतीश सरकार के मंत्री की ओर से क्यों आ रही है, क्या नीतीश कुमार जी की भी राजू सिंह के बयान में सहमति है।

इन्होंने आगे कहा कि बिहार में सबसे पहले शराबबंदी के लिए नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने मुहिम चलाया था और नारा दिया कि हमें शराब नहीं किताब चाहिए, हमें मदिरालय नहीं पुस्तकालय चाहिए ।और उसी मुहिम में तेजस्वी जी ने संकल्प लिया था कि हमारी सरकार बनने पर बिहार में शराबबंदी को पूरी तरह से लागू किया जाएगा।
जबकि इससे पहले वर्ष 2005 से 2015 के बीच भाजपा और जदयू ने मिलकर गांव-गांव और पंचायत- पंचायत शराब दुकानें खुलवाई थी ,और नई शराब प्रोत्साहन नीति के माध्यम से इसे आय एक स्रोत बनाया था। बिहार में महागठबंधन सरकार के ऐतिहासिक कार्य को कमजोर करने के अभियान में भाजपा के नेता लग गए हैं इससे यह स्पष्ट होता है कि उनको शराबबंदी का अभियान पच नहीं रहा है।