हांडी साहिब गुरुद्वारा सलाना उत्सव, श्रद्धालुओं ने गुरु गोविंद सिंह के पद चिन्ह का किये दर्शन
दानापुर। हांडी साहिब गुरुद्वारा में सलाना उत्सव मनाया गया। जिसमें भारी संख्या में सेवादारों ने भाग लिया। सालाना उत्सव पर अखंड पाठ के समापन के बाद कीर्तन और लंगर के साथ कथा वाचन किया गया। उत्सव में आए लोगों ने गुरु गोविंद सिंह के पद चिन्ह का दर्शन कर मत्था टेका और कीर्तन में शामिल होने के बाद लंगर चखा। इस मौके पर प्रबंधन कमिटी के तरफ से सरदार हरवंश सिंह जी, सरदार गुरविंदर सिंह जी आये जिनका स्वागत किया गया। ज्ञानी सतलोक सिंह के देखरेख में सारा आयोजन किया। वही सात संगत में ज्योति स्वरूप व शक्ति सिंह साथ रहे।

बताया गया कि सिखों के दसवें गुरु और खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोविद सिह बाल्यावस्था में आनंदपुर साहिब जाने के क्रम में आज ही के दिन यहां पहला पड़ाव गंगा किनारे स्थित जमुनी माई के झोपड़ीनमा घर में डाला था। वृद्ध जुमनी माई ने बाला प्रीतम (गुरूगोविद सिंह जी महाराज) एवं उनके संगत को प्यार से खिचड़ी खिलाई थी। संगत अधिक होने पर जमुना माई ने घबराकर उनसे लाज रखने की प्रार्थना की थी। तब गुरुजी ने अपना सरोपा को उस खिचड़ी भरी हांडी पर रख दिया। बाला प्रीतम की कृपा से पूरी संगत ने भोजन किया उसके बाद भी जितनी हाड़ी में खिचड़ी थी वो बची रही।

कहा जाता है कि सुबह जब बाला प्रीतम ने जमुनी माई से जाने की इजाजत मांगी, तो जमुनी माई ने पुनः दर्शन की इच्छा जताई। जिसपर बाला प्रीतम ने जमुनी माई को कहा कि प्रत्येक दिन हांडी में खिचड़ी बनाकर संगत को खिलांएगी, तो वह बालक रूप में संगत में शामिल रहेंगे। उसके बाद जमुनी माई के आग्रह पर बाला प्रीतम ने अपने बाल रूप के चरणों का पद चिह्न छोड़ गए। आज भी हांडी साहब गुरुद्वारा में प्रसाद स्वरूप खिचड़ी का लंगर चलता है व उनके चरण चिन्ह का लोग दर्शन करते है।