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यदि रावण न होता तो राम की महत्ता भी स्थापित न हो पाती

खगौल। खगौल में मंथन कला परिषद द्वारा डा. चतुर्भुज लिखित हिंदी नाटक “रावण “का मंचन वरिष्ठ रंगकर्मी प्रमोद कुमार त्रिपाठी के निर्देशन में किया गया।

30 दिवसीय नाट्य कार्यशाला के निर्देशक नीरज कुमार व अंजली शर्मा  के दृश्यबंध, ध्वनि संयोजन,संवाद परिकल्पना एवं कार्यशाला संयोजक अमन कुमार के सहयोग से तैयार यह नाटक दर्शकों को अंत तक बांधे रखा।

मुख्य पात्र रावण की कथा पर आधारित यह नाटक  त्रेता युग के उस व्यक्ति का चित्रण करता है, जिसके नाम से कभी त्रिभुवन प्रकम्पित होता था, जिसकी चाल से पृथ्वी दहलती थी, जिसकी गति से पवन घबराता था, जिसकी दृष्टि पड़ते ही बड़े – बड़े योद्धागण हथियार नीचे डाल देते थें और जिसके आगे -आगे विजयश्री हाथ जोड़े चलती थी।शील, शक्ति, ज्ञान और राजनीति में उसका विशिष्ट स्थान था। यदि रावण न होता तो राम की महत्ता भी स्थापित न हो पाती।

नाटक मे रावण की भूमिका में हौबिन्स कुमार, शूर्पणखा अंजली शर्मा, राम रोहन राज , सीता काजल कुमारी, लक्ष्मण दीनानाथ गोस्वामी, मारीच नीरज कुमार, दानव कुमार सोनू कुमार, मेघनाथ अमरजीत शर्मा ,विभीषण प्रीतम कुमार, तरणीसेन आयुष सिंह, हनुमान तेज नारायण सिन्हा,  आदि ने अपने अभिनय से खूब प्रभावित किया. प्रकाश संयोजन रोशन कुमार, रूप सज्जा दीपक कुमार, वस्त्र सज्जा सोनी सिन्हा, मंच सज्जा सज्जाद आलम,और अन्य तकनिकी सहयोग,श्यामाकांत, रंजीत दास ने अपना योगदान दिया। 

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