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नारद ऋषि ने अंगुलीमाल का उनका जीवन दलदल से बाहर निकाला

खगौल। गुरूवार शरद पूर्णिमा को जगत नारायण लाल कॉलेज खगौल में संस्कृत विभाग और आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वाधान मे बाल्मीकि जयंती का आयोजन किया गया। इस अवसर पर छात्राओ द्वारा वाल्मीकि के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला गया। कॉलेज की छात्रा मनीषा कुमारी ने वाल्मीकि के महर्षि होने से पूर्व उनके जीवन पर प्रकाश डाला आगे बताया किस प्रकार वे कुकर्म जीवन से बाहर आकर कठोर तपस्या कर महर्षि वाल्मीकि बने।

मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन पर आधारित रामायण की रचना कर आदि कवि वाल्मीकि के नाम से विश्व विख्यात हो गए। उनकी कृति रामायण घर-घर में पूजनीय हो गई। छात्र राजा कुमार ने भी अपने विचार रखते हुए कहा मनुष्य यदि प्रण ले ले तो कुछ भी असंभव नहीं है। उसने बताया वाल्मीकि आरंभ में अंगुलीमाल डाकू के नाम से  कुविख्यात था, किंतु कठिन तपस्या और मेहनत से सुप्रसिद्ध आदि कवि बन गए। वहीं बच्चों को संबोधित करते हुए संस्कृत विभागाध्यक्षा डॉ अवंतिका कुमारी ने कहा जीवन में अच्छे लोगों का संपर्क होना आवश्यक है यदि नारद ऋषि अंगुलीमाल से नहीं मिलते तो उनका जीवन दलदल से बाहर नहीं निकलता और वह आदि कवि के नाम से विख्यात नहीं होते। महर्षि वाल्मीकि का जीवन अनुकरणीय है।

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