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100 साल में हुई मां के निधन के बाद नम आखों से बेटों ने दिया  विदाई

पटना।  मां की मृत्यु के बाद बच्चों की क्या हालत होती है यह उनका बच्चा ही समझ सकता है। पर जब अपनी पूरी जिंदगी जी लेने के बाद अपने  पोता,पोती कि शादी करते हुए उनके बच्चो को भी अपने गोद मे खेला लेती है और उसका सारा घर संसार भर पूरा दिखता है। उस मां की मृत्यु के पश्चात ईश्वर उनके लिए स्वर्ग का दरवाजा खोल देता है।

ऐसा ही नजारा मीठापुर स्थित कन्नूलाल रोड में देखने को मिला, जहां दानापुर सुल्तानपुर निवासी स्वर्गीय चंद्रमणि देवी की प्रथम पुत्री गुलजार देवी जिनकी उम्र 100 साल कि होने के बाद  22 दिसम्बर को उनकी हृदय गति रुक जाने के कारण वह बैकुंठ धाम की ओर प्रस्थान कर गई।

बूढी मां के मृत्यु के बाद उनके परिवार मे लगभग 300 से भी ज्यादा सदस्यों ने अपने बूढ़ी मां की विदाई बैंड बाजे हाथी घोड़े के साथ किया।

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इनके परिवार के सबसे बड़ा बेटा विजय कुमार, सुशील कुमार,अजय कुमार, राम जी प्रसाद, गणेश कुमार, रमेश कुमार, उमेश कुमार एवं बेटी गीता देवी आदि ने बताया कि मां की उम्र जब 98 वर्ष की थी उस वक्त तक वह बिल्कुल स्वस्थ थी। इधर एक साल पहले से उनको केवल पैर में दर्द का शिकायत आने लगा था, जिसके बाद उसे चलने फिरने में काफी तकलीफ हो रही थी।

इनका देहांत हृदय गति रुक जाने के कारण अस्पताल में हुआ है। वही मुख अग्नि देने के बाद इनका छोटा बेटा उमेश कुमार ने बताया कि इस उम्र में भी मां बिल्कुल स्वस्थ थी और अपना क्रिया क्रम वह खुद किया करती थी। आज के इस युग में 100 साल तक जीवित रहना कोई मजाक नहीं है। अगर किसी इंसान को 100 साल की जिंदगी जीने की इच्छा है तो उसे अपने शरीर और रोजमर्रा खान पान के ऊपर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।

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