वेद की ज्योति जलती रहे ओम का झंडा ऊंचा रहे
आर्य समाज का 145वां वार्षिकोत्सव का आगाज
दानापुर वेद की ज्योति जलती रहे “ओम का झंडा ऊंचा रहे” के उद्घोष के साथ मंगलवार को डीएवी इंटर स्कूल से आर्य समाज का 145वां वार्षिकोत्सव का आगाज किया। मंगलवार को डीएवी इंटर स्कूल से गाजे-बाजे के साथ आर्य समाज का शोभा यात्रा निकाला गया. जो नगर के मुख्य मार्ग मछुआ टोेली, थानापर, बीबीगंज, बस पडाव, सदर बाजार , इमलीतल, गोलापर , तकियापर , बेलतल व गोलापर होते हुए स्कूल में समाप्त हो गया. शोभा यात्रा में पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद, आर्य समाज के प्रधान संजय कुमार सिंह, राम बिशुन सिंह, सत्यदेव गुप्ता, सुरेंद्र कुमार सिन्हा, पारस नाथ मेहता, बलदेव मेहता, पवन कुमार , प्राचार्य अनिल कुमार , अमरेंश प्रसाद, जुलूस प्रभारी त्रिलोक नाथ मेहता व आचार्य ब्रह्मदत शास्त्री समेत आर्य समाज के लोगों शामिल थे।
जुलूस में स्कूल के आर्यवीर दल, एनसीसी, अनाथालय के बच्चे व स्कूल के बच्चों शामिल थे. प्रधान संजय कुमार सिंह ने बताया कि चार दिवसीय वैदिक धर्म महोत्सव आर्य सम्मलेन में बंगाल से आचार्य ब्रह्मदत्त शास्त्री, कोलकाता के पं महेंद्र पाल आर्य, रोहतक के पं सत्यव्रत वानप्रस्थी, बरेली के भानु प्रकाश आर्य, बदायूं के आचार्या पुष्पा , मुजफ्फरपुर के डा व्यास नंदन शास्त्री, नवादा के संजय सत्यार्थी, व्यापुर के पं सत्य प्रकाश आर्य शामिल हुए है और वेद सम्मेलन, सामाजिक क्रांति सम्मेलन,शिक्षा सम्मेलन व राष्ट्र रक्षा सम्मेलन में अपने प्रवचन देंगे।
इससे पूर्व प्रातः यज्ञ के उपरांत वेद उपदेश के कार्यक्रम मे अपने विचार प्रकट करते हुए आचार्य ब्रह्मदत्त शास्त्री ने कहा कि “यज्ञो वै विष्णु” यज्ञ सनातन वैदिक संस्कृति की आधार शिला है . यज्ञ के तीन अर्थ होते हैं पहला देव पूजा अर्थात जीवित माता पिता और आचार्य की सेवा तथा जल वायु आकाश पृथ्वी आदि जड़ पदार्थों को हवि प्रदान करना। दूसरा संगतिकरण अर्थात परिवार राष्ट्र समाज व विश्व को एकता के सूत्र मे बांधना तीसरे दान अर्थात बड़ों का सम्मान, बराबर वालों मे मित्रता व छोटों को प्यार के साथ अपने पवित्र कमाई से प्राप्त धन को यथाशक्ति दान कर राष्ट्र की रक्षा करना। जिसमे ये तीन भाव चरितार्थ होते हैं उसी का नाम यज्ञ है।