मुख्य पार्षद के सहमति के बगैर, 15 सदस्यों के सहमति से 20 योजना और 5 प्रस्ताव पास ,
रिपोर्ट:-विकास आनन्द के साथ सुरेश कुमार सिंह की रिपोर्ट
नवगठित नगर पंचायत सिमराही के कार्यालय में शनिवार को आयोजित बोर्ड का तीसरा आम बैठक काफी हंगामेदार रहा। बैठक के दौरान वार्ड पार्षदों द्वारा बहुमत से योजनाओं को स्वीकृति या अस्वीकृत किए जाने को लेकर जहां कुछ पार्षदों के बीच भी तीखी नोंकझोंक हुई। वहीं बैठक के दौरान ही मुख्य पार्षद पति द्वारा हो हंगामा किए जाने से नाराज कार्यपालक पदाधिकारी ने मामले मे थाना सहित वरीय अधिकारियो को आवेदन देकर मामला दर्ज करवा दिया।

सिमराही नगर कार्यालय के सभागार में आयोजित बैठक में शामिल वार्ड पार्षद गणेश कुमार दास ने जानकारी देते हुए बताया कि नगर पंचायत सिमराही को षष्टम वित्त आयोग मद से एक करोड़ सत्तर लाख रुपये विभाग से प्राप्त हुआ था, जिसे लेकर पिछले बैठक में निर्णय लिया गया था कि सभी वार्डो में लगभग दस लाख के औसत से विकास कार्य करवाया जाएगा। जिसके बाद अधिकांश वार्ड पार्षदों द्वारा उसी निर्णय के आलोक में अपने-अपने वार्डो का योजना लाया गया था, लेकिन वार्ड नंबर तीन से करीब 30 लाख का योजना और वार्ड नंबर 9 से करीब 45 लाख के योजना का प्राक्कलन बनाकर बैठक में लाया गया था। जिस पर बैठक में शामिल अधिकांश वार्ड पार्षदों ने आपत्ति जताते हुए उसका विरोध किया। जिसे लेकर नगर पंचायत के प्रभारी अकाउंटेंट आशुतोष मिश्रा द्वारा बताया गया कि उपरोक्त योजना मुख्य पार्षद के द्वारा लाया गया है। लेकिन अधिकांश वार्ड पार्षद ने कहा कि सभी वार्डो में बराबर बराबर योजनाओं का स्वीकृति प्रदान किया जाना चाहिए।बैठक में शामिल वार्ड नंबर तीन के वार्ड पार्षद सतीश कुमार ने कहा कि उनके वार्ड में नगर पंचायत में कार्यरत एनजीओ द्वारा सही तरीके से साफ सफाई नहीं किया जा रहा है।नगर पंचायत सिमराही में चार महीने से कमिटी गठन के बावजूद भी अब तक नए तरीके से टेंडर नही निकाले जाने के कारण नगर क्षेत्र में सफाई कार्य सुचारू रूप से नही हो रहा है।वहीं इस हंगामेदार बैठक के मामले की जानकारी देते कार्यपालक पदाधिकारी मनीषा कुमारी ने बताई कि शनिवार को मुख्य पार्षद यशोदा देवी के निर्देश पर बोर्ड की आम बैठक बुलाई गई थी।जिसमें मुख्य पार्षद यशोदा देवी, उप मुख्य पार्षद विनीता देवी सहित विभिन्न वार्ड के पार्षदों ने भाग लिया।

मुख्य पार्षद के अध्यक्षता में बैठक की कार्यवाई शुरू कर सर्वप्रथम विभिन्न वार्डों के विकास को लेकर बनाए गए योजनाओं को पार्षदों द्वारा आपसी सहमति से स्वीकृत या अस्वीकृत किया जा रहा था। इसी बीच एक दो वार्ड पार्षदों के बीच कुछ बातों को लेकर बहस भी हो गया। बैठक कार्यवाही के अन्तिम सत्र में मुख्य पार्षद के पति विजय चौधरी ने सदन की कार्यवाही के दौरान ही सदन में घुसकर हंगामा शुरू कर दिया। इस बाबत मुख्य पार्षद यशोदा देवी ने बताया कि बैठक के अन्तिम सत्र होने के कारण मेरे पति मुझे वापस लेने आए थे और उनका गाड़ी पुत्र विवेक जायसवाल चलाकर नगर कार्यालय पहुँचे थे, जहाँ पहले से ही बैठक में नोक झोंक चल रहा था। मेरे द्वारा कार्यपालक पदाधिकारी को इसके पूर्व में भी लिखित और मौखिक रूप से कई बार अब तक के आय व्यय की जानकारी और चेयरमैन कार्यालय को सुदृढ़ करने हेतु सार्वजानिक जानकारी देने को कहा था, जिसपर कार्यपालक पदाधिकारी के द्वारा अब तक कोई भी अनुकूल कार्य और जवाब नही दिया जा रहा है। इन्ही मुद्दे के असन्तोषजनक जवाब तलब से विछुब्ध होकर मैं अपने पति विजय चौधरी के साथ बैठक के प्रस्ताव पंजी पर बिना हस्ताक्षर किए ही वापस आ गयी।इस घटना से नाराज होकर मेरे साथ कुछ वार्ड पार्षद भी सदन से निकल गए और पंजी पर अपना हस्ताक्षर भी नहीं किया और न ही किसी प्रकार के प्रस्ताव पर अनुमोदन किया। बैठक में उपस्थित कार्यपालक पदाधिकारी के साथ अन्य पार्षदों ने बताया कि इसके बाद सदन की कार्यवाही के दौरान स्वीकृत तथा अस्वीकृत योजना सहित सदन में लिए गए अन्य निर्णय को लेकर उप मुख्य पार्षद के साथ साथ कुल 14 पार्षद ने पारित प्रस्ताव पंजी पर हस्ताक्षर पर प्रस्ताव को पास कर दिया। वहीं कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा बताया गया की मुख्य पार्षद पति द्वारा हो हंगामा किए जाने के मामले को राघोपुर थाना सहित वरीय अधिकारियों को आवेदन देकर प्राथिमिकी दर्ज करवा दी है। प्राप्त आवेदन के आलोक में राघोपुर थानाध्यक्ष रजनीश कुमार केशरी ने बताया कि ईओ के आवेदन पर थाना कांड संख्या 196/23 दर्ज किया गया है जिसमे विजय चौधरी और विवेक जायसवाल पर 341,323,354(A),353,504,506,34IPC के सुसंगत धाराओं के तहत प्राथिमिकी दर्ज की गई है। वहीं मुख्य पार्षद यशोदा देवी ने बताया कि बैठक की समाप्ति के बाद मैंने अपने पति को बुलाया तो कार्यपालक पदाधिकारी मनीषा कुमारी ने मेरे पति से कहा कि मुख्य पार्षद को समझा दीजिए कि हमसे मिलकर काम करे, नहीं तो हम किसी भी हद तक जा सकते हैं।मुख्य पार्षद ने बताया कि राघोपुर थाना में दर्ज प्राथिमिकी बेबुनियाद है जो कि बिल्कुल ही तथ्यहीन और साक्ष्यहीन है। थाने में दर्ज आवेदन पर बैठक में उपस्थित कोई भी सदस्यों का गवाह के रूप में हस्ताक्षर नही है, जिससे स्पष्ट जाहिर है कि कार्यपालक पदाधिकारी दुराग्रह से प्रभावित होकर केस दर्ज की है। उन्होंने कहा कि कार्यपालक पदाधिकारी के साथ मेरे पति द्वारा किसी प्रकार का अभद्र व्यवहार और बात नहीं किया गया है।