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हाईकोर्ट के फैसले पर गर्मायी सियासत : जातीय गणना पर रोक के बाद पक्ष-विपक्ष आमने-सामने

पटना। पटना हाईकोर्ट के द्वारा बिहार में जातीय गणना पर रोक लगाये जाने के बाद राज्य में पक्ष और विपक्ष के बीच बयानबाजी शुरू हो गई है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही जिम्मेदार बताया है। वहीं जदयू ने इसे अंतरिम आदेश बताया है। जबकि, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि भाजपा वाले आज खुश हो रहें होगेंं, पर बिहार सरकार कोर्ट का पूरा फैसला देखने के बाद उचित कदम उठायेगी। हर हाल में जातीय गणना का काम बिहार में होगा, क्योंकि इस गरीब राज्य को आगे बढ़ाने के लिए जातीय गणना कराना जरूरी है।

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हाईकोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए सम्राट चौधरी ने कहा कि भाजपा ने हमेशा सरकार के जाति आधारित गणना का समर्थन किया है। नीतीश के एनडीए सरकार में हमारे मंत्री ज्यादा थे और जदयू के कम मंत्री थे। लेकिन हमने हर मोर्चे पर इसकी वकालत की है। डाटा को लेकर माननीय कोर्ट ने जो टिप्पणी की है। इसके बारे में सरकार को स्पष्ट करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भूलने की बीमारी है। नीतीश कुमार को अब कुछ भी याद नहीं रहता है। हमारे पिताजी के बारे में आज जो टिप्पणी की है। वहीं, पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि ऐसा लगता है सरकार ने बेहतर तरीके से तैयारी नहीं की थी और कुछ तकनीकी कारण की वजह से हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगाई है।

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उधर, इस मुद्दे पर तेजस्वी यादव ने कहा कि पटना हाईकोर्ट का फैसला पढ़ने के बाद सही टिप्पणी करेंगे। पर बिहार में हर हाल में जातीय गणना होकर रहेगी। इसके लिए सरकार को जो कदम उठाना होगा, वे उठायेंगे। वहीं भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि आज वे लोग खुशिया मना रहें हैं, वे कभी दिल से चाहते ही नहीं थे कि जातीय गणना हो। भाजपा के द्वारा सरकार के द्वारा मजबूती से पक्ष नहीं रखे जाने के सवाल पर तेजस्वी ने कहा कि अगर भाजपा के लोग दिल से जातीय गणना चाहतें हैं तो फिर भाजपा की सरकार वाले राज्य में क्यों नहीं कराया जा रहा है? केंद्र की सरकार ने मना क्यों कर दिया? तेजस्वी यादव ने कहा कि हम जातीय गणना कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बिहार की जनता भी चाहती है कि जातीय गणना कराई जाए। यह बिहार के लोगों के हित के लिए हैं। वे इसकी लड़ाई आगे भी लड़ते रहेंगे। वहीं, इस मुद्दे पर जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि ये अंतरिम आदेश है और उन्हें उम्मीद है कि अंतिम फैसला सरकार के पक्ष में ही आएगा, क्योकि कोर्ट ने डाटा को संरक्षित रखने का आदेश दिया है। इसलिए अंतरिम आदेश को अंतिम आदेश नहीं माना जाना चाहिए।

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