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आजमा कर देंखे : फूलों में छुपी है कुदरती खूबसूरती, निखर आएगा आपका चेहरा

फूलों की पंखुड़ियां महिलाओं की सुन्दरता में चार चांद लगाती रही हैं। भारत में सदियों से फूलों की पंखड़ियों से हर्बल सौंदर्य उत्पाद बनाये जाते रहे हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सौंदर्य प्रसाधन बाजार में उतरने से पहले महिलायें सौंदर्य निखारने के लिए फूलों को उपयोग में लाती रही हैं। फूलों को पूजा, जन्मदिन, विवाह, पार्टियों तथा विभिन्न आयोजनों में सजावट के लिए प्रयोग किया जाता है। रासायनिक सौन्दर्य प्रसाधनों के बाजार में आने से पहले फूल महिलाओं की त्वचा तथा बालों के सौन्दर्य को निखारने में प्रयोग किये जाते रहे हैं। इन्हीं फूलों को अगर आप सौन्दर्य निखारने में भी प्रयोग में लाती हैं तो आप बिना किसी सौन्दर्य प्रसाधन के दमकती त्वचा तथा चमकीले बाल प्राप्त कर सकती हैं।

आज भले ही फूलों के सौंदर्य उत्पाद आकर्षक पैक में महंगे दामों पर बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन इन उत्पादों की शेल्फ लाइफ को लम्बे समय तक बनाये रखने के लिए जिन रासायनिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है वह फायदे की बजाय नुकसान ज्यादा करते हैं। ऐसे में अगर आप थोड़ा समय निकल कर घर में फूलों के सत से हर्बल उत्पाद तैयार कर सौंदर्य निखारने का प्रयोग करें तो इससे जहाँ पैसे की बचत होगी वहीं आपकी आभा में चार चाँद लगेंगे। गुलाब, लेवेन्डर, जैसमिन, गुड़हल आदि फूलों का उपयोग करके आप प्राकृतिक सौन्दर्य प्राप्त कर सकती हैं। फूलों से वातावरण में वानस्पतिक ऊर्जा मिलती है। फूलों की सुगंध तथा रंगों से न केवल हमारी इन्द्रियां आनन्दित महसूस होती हैं बल्कि फूलों में ताकतवर गुणकारी तत्व भी विद्यमान होते हैं।

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अनेक फूलों की प्रजातियों की सुगंध से ही मानसिक शांति प्राप्त हो जाती है। प्राचीनकाल में गुलाब, चमेली, लवेन्डर तथा नारंगी फूलों से मानसिक विकारों से ग्रस्त रोगियों का इलाज किया जाता था। आधुनिक सौन्दर्य देखभाल में सुन्दरता ग्रहण करने के लिए मानसिक तनाव से मुक्ति को परम आवश्यक माना गया है। सौन्दर्य से जुड़ी अनेक समस्यायें जैसे बालों का गिरना, गंजापन, कील-मुहांसे आदि मानसिक तनाव की देन माने जाते हैं। फूलों की सुगंध से तनाव से मुक्ति के साथ शरीर में शांतिदायक तथा ताजगी के पलों का एहसास मिलता है। गुलाबजल को त्वचा का बेहतरीन टोनर माना जाता है। थोड़े से गुलाबजल को एक कटोरी में ठंडा करें। कॉटनवूल की मदद से ठंडे गुलाब जल से त्वचा को साफ करें तथा त्वचा को हल्के-हल्के थपथपायें। इससे त्वचा में यौवनता तथा स्वास्थ्यवर्धक बनाये रखने में मदद मिलती है। यह गर्मियों तथा बरसात ऋतु में काफी उपयोगी साबित होता है। तैलीय त्वचा के लिए एक चम्मच गुलाबजल में दो-तीन चम्मच नींबू का रस मिलाएं तथा इस मिश्रण में कॉटन वूल पैड डुबोकर इससे चेहरे को साफ करें। इससे चेहरे पर जमा मैल, गंदगी, पसीने की बदबू को हटाने में मदद मिलेगी।

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ठंडा सत्त तैयार करने के किए गुड़हल के फूल तथा पत्तियों को 1:6 के अनुपात में रात भर ठण्डे पानी में रहने दें। फूलों को निचोड़कर प्रयोग करने से पहले पानी को बहा दें। इस सत्त को बालों तथा सिर को धोने के लिए प्रयोग में ला सकते हैं। इस सत्त या फूलों के जूस में मेहंदी मिलाकर बालों पर लगाने से बालों को भरपूर पोषण मिलता है। यह बालों की कंडीशनिंग उपचार के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

गेंदे या केलैन्डयुला के ताजा या सूखे पत्तों का भी प्राकृतिक सौन्दर्य में उपयोग किया जा सकता है। चार चम्मच फूलों को उबलते पानी में डालिये लेकिन इसे उबालें नहीं। फूलों को 20 या 30 मिनट तक गर्म पानी में रहने दीजिए। इस मिश्रण को ठंडा होने के बाद पानी को निकाल दें तथा मिश्रण को बालों के संपूर्ण रोगों के उपचार के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। ठंडे पानी से चेहरे को धोने से चेहरे में प्राकृतिक निखार आ जायेगा। इस मिश्रण से तैलीय तथा कील-मुहांसों से प्रभावित त्वचा को अत्यधिक फायदा मिलता है।

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