पटना। नीतीश सरकार के द्वारा बनाई गई नई शिक्षा नीति के विरोध में बिहार के लाखों शिक्षकों ने बुधवार को ब्लैक डे मनाया। इसी क्रम में उनके द्वारा सभी जिला मुख्यालयों पर प्रतिरोध मार्च निकाला गया। नियमावली की प्रति को जलाकर विरोध प्रकट किया। कहा है कि अगर फिर भी सरकार नहीं चेतती है और शिक्षकों को उनका बाजिव हक नहीं देती है तो बिहार के लाखों शिक्षक सड़कों पर उतरेंगे, जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना होगा। इसी कड़ी में पटना में नियोजित शिक्षकों ने नई नियमावली के खिलाफ प्रदर्शन किया। हालांकि पुलिस ने प्रदर्शन के उग्र होने से पहले ही उन्हें रोक दिया। इसके बाद सभी वापस चले गए।
बताया जाता है कि आगे की रणनीति के लिए 16 अप्रैल को पटना में सभी शिक्षक संगठनों की बैठक बुलाई गई है। शिक्षक संगठनों ने नई नियमावली को शिक्षक और शिक्षक अभ्यर्थी दोनो के लिए छलावा बताया है। बता दें कि बिहार कैबिनेट के द्वारा सोमवार को बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक नियमावली 2023 को स्वीकृति प्रदान किए जाने के बाद से ही शिक्षक संगठनों में विरोध के स्वर को तीव्र कर दिया है। इधर शिक्षकों का कहना है कि नई नियमावली में वर्षों से कार्यरत शिक्षकों को पूर्णतः अलग-थलग रखा गया है। इतना ही नहीं, यह कितने आश्चर्य की बात है कि एक ही विद्यालय में सरकार कितने तरह के अध्यापक को बहाल कर भेदभावपूर्ण नीति अपना रही है। टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोप गुट ने अपना विरोध प्रकट करते हुए इसे महागठबंधन सरकार की वादाखिलाफी और शिक्षकों के पीठ में खंजर भोकने वाला कदम करार दिया है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष मार्कण्डेय पाठक, प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पाण्डेय एवं प्रदेश महासचिव शाकिर इमाम ने बताया कि महागठबंधन की सरकार ने बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त सरकार ने हमसे वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के भांति वेतनमान और सेवाशर्त देगी और आज जब वह सत्ता में आई है तो अपने वादे से मुकर रही हैं। नई नियमावली में वर्षों से कार्यरत शिक्षकों को पूर्णतः अलग थलग रखा गया है। इतना ही नहीं यह कितनी आश्चर्य की बात है की एक ही विद्यालय में सरकार कितने तरह के अध्यापक को बहाल कर भेदभाव पूर्ण नीति अपना रही है।