वर्ल्ड हेल्थ डे (April 07) : कोरोना के बाद भारतीयों में तेजी से बढ़ रहीं हैं ये 8 बीमारियां
- हार्ट अटैक, पैरालिसिस, किडनी की बीमारी हो सकती हैं कोरोना का दुष्प्रभाव
- ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और डायबिटीज जैसी खराब जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां
- कोविड सिम्पटम्स और कई बीमारियां नई चुनौती के रूप में सामने आई
नई दिल्ली। हर साल सात अप्रैल को पूरी दुनिया में वर्ल्ड हेल्थ डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को स्वास्थ्य और मेडिकल क्षेत्र में हो रही नई-नई प्रगति के प्रति जागरूक करना है। इस साल वर्ल्ड हेल्थ डे हेल्थ फॉर आल थीम पर मनाया जा रहा है। भारत में पिछले कुछ हफ्तों से कोरोना के मामले तेजी बढ़ रहे हैं हालांकि अब इस वायरस को उतना खतरनाक नहीं माना जाता जैसे पहले माना जाता था लेकिन कोरोना से उबर चुके लोगों में देखे गए लॉन्ग कोविड सिम्पटम्स और कई बीमारियां नई चुनौती के रूप में सामने आई हैं। कई रिसर्च में वायरस से हृदय, फेफड़े, गुर्दे और शरीर के अन्य अंगों पर पड़ने वाले प्रभावों का भी जिक्र किया गया है। यह महामारी कई मौजूदा बीमारियों के निदान और इलाज में रुकावट भी बनी है। गतिहीन जीवनशैली कोविड-19 महामारी के एक और दुष्प्रभाव के रूप में हमारे सामने आई जिसके लोग आदी हो गए हैं। कई लोग अभी भी इसके प्रभाव से जूझ रहे हैं जो कई और दुष्प्रभावों को दावत देता है।
क्रॉनिक डिजीज का मतलब ऐसी बीमारियां जो कम से कम एक साल या उससे अधिक समय तक रहती हैं और जिनके लिए लगातार इलाज की जरूरत होती है। डायबिटीज, कैंसर, हृदय रोग और किडनी डिसीस जैसी क्रॉनिक बीमारियां पूरी दुनिया में लोगों की मौतों का प्रमुख कारण हैं। दिल्ली के शालीमार बाग स्थित फॉर्टिस हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट पवन कुमार गोयल ने बताया कि अगर हम आंकड़ों पर नजर डालें तो महामारी के बाद ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और डायबिटीज जैसी खराब जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। कोई सोच सकता है कि ऐसा क्यों हो रहा है। महामारी के दौर में लोग घर बैठे योग, प्राणायाम और व्यायाम कर रहे थे। सड़कों पर ना के बराबर ट्रैफिक था। अब सड़कें भर चुकी हैं और ट्रैफिक जाम की वजह से भी लोग एक-दूसरे को कोस रहे हैं। व्यवसाय फल-फूल रहे हैं लेकिन लोगों के बीच प्रतिस्पर्धा भी बढ़ रही है जो लोगों को हाई ब्लड प्रेशर का शिकार भी बना रही है। लोगों के पास व्यायाम या योग के लिए समय नहीं है और तनाव कम करने के लिए अनहेल्दी भोजन, धूम्रपान और शराब पी रहे हैं। कम शब्दों में कहें तो लाइफस्टाइल से जुड़े रोगों को पनपने के लिए एक बेहतरीन वातावरण मिला है।
हेल्थकेयर कंपनी लाइब्रेट के जनरल फिजिशियन ने पार्थ प्रजापति ने कहा कि कोरोना ना केवल फेफड़ों को प्रभावित करता है बल्कि किडनी, हृदय और दिमाग को भी नुकसान पहुंचाता है। इससे कई मानसिक परेशानियां होती हैं। हार्ट अटैक, पैरालिसिस, किडनी की बीमारी कोरोना का दुष्प्रभाव हो सकती हैं। कोरोना की बीमारी हर उम्र के लोगों को होती है लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रभाव बुजुर्गों पर पड़ता है। महामारी ने क्रॉनिक डिसीस के निदान, उपचार और निगरानी की क्षमता में रुकावट पैदा की है जिसकी वजह से इन बीमारियों से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ रही है।
कोरोना की नई लहर की आशंका के बीच स्वास्थ्य मंत्री की हुई बैठक, कहा- ‘हल्के में न लें, 10 और 11 अप्रैल को होगी मॉक ड्रिल’
बैठक मे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने देश में बढ़ते जा रहे कोरोना केसों को लेकर चिंता जाहिर की है। इसके लिए उन्होंने देश में कोविड-19 की स्थिति को लेकर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस दौरान कोविड टेस्टिंग एवं जीनोम सीक्वेंसिंग के साथ कोविड नियमों के पालन का प्रसार बढ़ाने पर बात हुई। ये बैठक दिल्ली में चल रही थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने मांडविया ने कहा कि हमें सतर्क रहना है और अनावश्यक भय नहीं फैलाना है। उन्होंने सभी स्वास्थ्य मंत्रियों से निवेदन किया कि वो अपने राज्यों में कोविड की स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर समीक्षा बैठक करें। इस दौरान उन्होंने 10 व 11 अप्रैल को पूरे देश में कोविड को लेकर मॉक ड्रिल कराने की बात कही। इसके साथ ही उन्होंने राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों को भी अस्पतालों का दौरा करने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य सरकारों से कहा कि वह कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए अपने स्तर पर तैयारियों को पुख्ता करें। उन्होंने कहा कि लोगों को कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर जागरूक किया जाए और लोग भी इसे लेकर ढिलाई न बरतें।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के 6 अप्रैल की कोरोना केसों की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 24 घंटों में देश में कोरोना के 5,335 मामले केस सामने आए हैं। ये आंकड़ा बीते 195 दिन में सबसे अधिक है। इससे पहले बीते साल 23 सितंबर को 5,383 केस सामने आए थे। इसी के साथ देश में एक्टिव केसों की संख्या 25,587 हो गई है।