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सुब्रमण्यम स्वामी ने पीएम पर साधा निशाना, गुजरात के एक निजी बंदरगाह में भारी तादाद में जमे बैठे हैं चीनी

  • अडानी के पोर्ट के चीनी लिंक को लेकर अलर्ट हुई थीं एजेंसियां

नई दिल्ली। उद्योगपति गौतम अडानी को निशाना बनाकर भाजपा के पूर्व सांसद ने बड़ा हमला बोला है। उन्होंने एक ट्वीट कर कहा कि गुजरात के एक निजी बंदरगाह में चीनी भारी तादाद में मौजूद हैं। उनकी ये संख्या भारत की किसी भी दूसरी जगह पर मौजूद चीनियों की तादाद से ज्यादा है। दरअसल सुब्रमण्यम स्वामी ने एक यूजर के ट्वीट पर अपना जवाब दिया। उस यूजर ने एक खबर का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि मुंद्रा पोर्ट के टर्मिनल की डील भारत की सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर है। स्वामी का कहना है कि ये पोर्ट हिंद महासागर में घुसपैठ का सबसे मुफीद रास्ता है।

भाजपा के राज्यसभा सांसद रहे सुब्रमण्यम स्वामी ने कुछ दिन पहले ही मोदी सरकार को चेताते हुए कहा था कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग युद्ध की तैयारी में जुटे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर पर निशाना साधकर उन्होंने कहा था कि हमारे वेटर्स उनसे कह रहे हैं कि आप अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख ले लो पर उसके अलावा कहीं और पर निगाह मत डालो। उनका कहना था कि भारत सरकार चीन के सामने पस्त हो चुकी है।सुब्रमण्यम स्वामी ने चीन को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी पर भी कई बार हमला बोला है। उनका कहना है कि चीन को लेकर पीएम की नीति समझ से परे है। चीन की सेना 2020 में लद्दाख और बीते साल अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना से दो-दो हाथ कर चुकी है। लेकिन पीएम को कुछ नहीं दिखता।

स्वामी ने हाल ही में कहा था कि पीएम मोदी ने उन्हें ब्रिक्स बैंक का चेयरमैन बनने के लिए कहा था पर उन्होंने इस वजह से इनकार कर दिया था क्योंकि उन्हें साफ तौर पर दिख रहा था कि चीन से संबंध स्थापित करना भारत के हित में नहीं है। स्वामी का कहना है कि उसी दौरान एक अलग मीटिंग में उन्होंने पीएम मोदी और अमित शाह को चीन के साथ संबंध बढ़ाने को लेकर आगाह भी किया था। पर वो नहीं मान रहे। भाजपा नेता स्वामी ने जिस ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक निजी पोर्ट पर चीनियों की भारी तादाद होने की बात कही। इसके मुताबिक मुंद्रा पोर्ट के एक टर्मिनल की ओनरशिप एक चीनी कंपनी को हस्तांतरित करने को लेकर भारत की सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड में आई थीं। अडानी ग्रुप के फ्रेंच पार्टनर टर्मिनल और चीनी सरकार की कंपनी चाईनीज मर्चेंट ग्रुप के बीच टर्मिनल की ओनरशिप हस्तांरित करने को लेकर करार हुआ था। अडानी ग्रुप का कहना था कि इस डील से उसका सीधे तौर पर कोई लेना देना नहीं है।

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