अजीत, फुलवारीशरीफ। रुक्मणी बिल्डटेक को न्यायालय से झटका पर झटका लग रहा है। पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल के आदेश पर सुनवाई कर रहे आर्बिट्रेटर एवं रिटायर्ड जस्टिस माननीय वीएन सिन्हा ने लगभग दो महीने पहले रुक्मणी बिल्डटेक को 22 करोड रुपये का जुर्माना देने का आदेश दिया था। साथ ही फैसले मे यह भी कहा गया था कि बगैर भूस्वामी के हस्ताक्षर के रूकमणी बिल्डटेक के निदेशको द्वारा बेचे गये तमाम फ्लैट गैरकानूनी हैं।

आर्बिट्रेटर द्वारा दिये गये फैसले के बाद भी रुक्मणी बिल्डटेक ने गैरकानूनी तरीके से फ्लैट की बिक्री जारी राखी। तब पीड़ित भूस्वामी नागेश्वर सिंह स्वराज ने पुनः न्यायालय से गुहार लगाई और डिक्लेरेशन सुट केस नंबर -01/23 दायर किया। इस गंभीर मामले पर संज्ञान लेते हुए अवर न्यायाधीश सह अपर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी चतुर्थ जबीन जमाल ने रुक्मणी बिल्डटेक के सभी निदेशको अजीत आजाद, रेणु आजाद, अमित कुमार चौबे, मानव कुमार सिंह एवं राजीव कुमार ठाकुर को डाक नोटिस जारी किया। इसके बाद 3 फरवरी को बिल्डर के ठिकाने पर भी नोटिस तामिला कराया गया। इसके वाबजूद बिल्डर की तरफ से कोई भी न्यायालय मे उपस्थित नही हुआ।

कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 31 मार्च तय की है। तब तक के लिये न्यायालय ने भूस्वामी और बिल्डर के बीच सप्लीमेंट्री शेयर डिस्ट्रीब्यूशन दस्तावेज में वर्णित निर्माणाधीन छ्त्रपति शिवाजी ग्रीन्स के ब्लॉक ए0, ए0-1, बी0, बी0-1, सी0, डी0, ई0 एवं एफ0 में रुक्मणी बिल्डटेक के हिस्से के सभी फ्लैट व वाणिज्यिक स्थल की विक्री, पुनर्विक्री, किराया तथा लीज पर रोक लगा दिया है।