मंच पर जीवंत हुए नमक के दरोगा के पात्र
आज भी प्रासंगिक है नाटक “नमक का दारोगा”
नमक का दारोगा वर्तमान परिस्थितियों में आज भी प्रासंगिक
खगौल। बेटा, मेरा कहा मानो, पोस्ट-वोस्ट पर ज्यादा ध्यान मत दो। नौकरी ऐसी ढूँढ़ो कि ऊपरी आमदनी की गुंजाइश हमेशा बनी रहे। मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है, चाँद, जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है। ऊपरी आमदनी बहता हुआ स्रोत है। सही अर्थों में आदमी की प्यास इसी से बुझती है।देखो वेतन मनुष्य देता है, इसी से उसमें वृद्धि नहीं होती। ऊपरी आमदनी ईश्वर देता है, इसी से उसमें निरंतर वृद्धि होती रहती। बाबूजी, माफ कीजिएगा, मैं आपके विचारों से सहमत नहीं हूँ। बाबूजी, मुझे अच्छी नौकरी करनी है और इज़्ज़त से ज़िंदगी जीनी है।

आप जो रिश्वत लेने का पाठ मुझे पढ़ा रहे थे, वह मेरे सिद्धांतों से बिल्कुल मेल नहीं खाता। मैं कभी घूस नहीं लेने वाला। मुंशीजी और वंशीधर के इस कथन के साथ नाटक नमक का दरोगा का समाहार हुआ और दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से अभिनेताओं का उत्साहवर्धन किया।

रविवार को पूर्व मध्य रेलवे सीनियर सेकेंडरी स्कूल में नाट्य संस्था सूत्रधार, खगौल के बैनर तले कालजयी रचनाकार मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित, डॉ. कुमार संजय द्वारा नाट्य रूपांतरित एवं बिहार कला पुरस्कार से सम्मानित नवाब आलम द्वारा निर्देशित नाटक नमक का दारोगा का मंचन किया गया।

नाटक में वंशीधर की भूमिका में अंबुज कुमार, पंडित अलोपीदीन की भूमिका में मुकेश कुमार, पिता वीरेंद्र कु. ओझा, माता (आरती देवी) अनिल कुमार सिंह( हवलदार), सऊद आलम( वकील) के साथ-साथ भास्कर राज, भोला सिंह, जयप्रकाश मिश्रा, आसिफ हसन की भूमिका सराहनीय रही। कलाकारों ने मुंशी प्रेमचंद की लिखित नमक का दरोगा कहानी के पात्रों को जीवंत किया। नाटक के पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन राजद नेता दीनानाथ प्रसाद यादव,ज्ञानेश्वर, श्री दीपेश कु. शर्मा, श्रीमती अनीता कुमार, डॉ अनिल कुमार आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर वर्ष 2025 का सूत्रधार-सम्मान अभिनेता, निर्देशक, लेखक पंकज मिश्रा को प्रदान किया गया। आयोजन में कई गणमान्य व्यक्ति ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जिनमें प्रो (डॉ) महेंद्र सिंह, प्रो एस. एस. जोसेफ , डॉ अनिल कुमार( एम्स), उदय कुमार, सुजीत कुमार , विनोद शंकर मिश्र जैसे शिक्षाविदों एवं संस्कृतिकर्मियों ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इसके इलावा कृष्ण कुमार,अस्तानंद सिंह, जय प्रकाश मिश्र,विकास कु. पप्पू, अरुण सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता चंदू प्रिंस, ज्ञानेश्वर प्रसाद व काफी संख्या में लोग मौजूद थे

. मंच संचालन अरुण सिंह व धन्यवाद ज्ञापन प्रो प्रसिद्ध यादव ने किया। अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्था के महासचिव वरिष्ठ रंगकर्मी नवाब आलम ने नाटक के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। नवाब आलम ने कहा कि प्रेमचंद की रचनाएं आज भी हमारे समाज के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण और प्रासंगिक है जितनी वे उनके समय में थी।