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एम्स में इलाज ठप, मरीज बेहाल. विधायक-डॉक्टर की जिद से जनता त्राहिमाम. सरकार खामोश

सत्ता की चुप्पी, सिस्टम की विडंबना,जिद बनाम जिम्मेदारी

मरीजों का दर्द, व्यवस्था का मज़ाक,प्रशासनिक प्रयास नाकाम

आईजी एवं सिटीएसपी की पहल भी बेकार गई पांचवें दिन भी एम्स में हड़ताल जारी

फुलवारी शरीफ. अजीत । बिहार की राजधानी में स्थित एम्स पटना में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल सातवें दिन भी जारी है. अस्पताल की ओपीडी बंद है, ऑपरेशन टल रहे हैं, इमरजेंसी सेवाएं लड़खड़ा चुकी हैं, और इलाज के लिए आने वाले हज़ारों मरीज हर दिन मायूस होकर लौट रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच, विवाद का केंद्र बने सत्तारूढ़ दल से जुड़े विधायक चेतन आनंद अपने स्टैंड पर अड़े हैं – “हम माफी नहीं मांगेंगे.”एम्स पटना के निदेशक ने भी इस गतिरोध पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि मरीजों की स्थिति को लेकर वे बेहद परेशान हैं. रेजिडेंट डॉक्टरों के बिना एम्स की सेवाएं अधूरी हैं और जब तक वे काम पर नहीं लौटते, अस्पताल की पूरी व्यवस्था चरमरा चुकी है.पटना के आईजी जितेंद्र राणा और सिटी एसपी पहले ही एम्स पहुंच चुके हैं. फुलवारीशरीफ थाना और जांच अधिकारी ने भी एम्स से सीसीटीवी फुटेज मांगा है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. डॉक्टर जहां मुकदमा हटाने की जिद पर हैं, वहीं विधायक का रुख और भी सख्त होता जा रहा है. इस गतिरोध का कोई समाधान फिलहाल नज़र नहीं आ रहा.जब जनता का इलाज ठप है.

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जब बच्चे-बुज़ुर्ग तक तड़प रहे हैं. जब एक प्रतिष्ठित अस्पताल का पूरा सिस्टम हड़ताल से ठप हो गया है. तब क्या एक विधायक का अहं और डॉक्टरों की नाराज़गी जनता की जान से बड़ी हो गई है?

एम्स जैसे संस्थान में जहां देशभर से लोग इलाज के लिए आते हैं, वहां इलाज बंद है, ओपीडी ठप है, ऑपरेशन थिएटर बंद हैं, और रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर. मंगलवार को भी मरीजों की लंबी कतारें देखी गईं. लेकिन दोपहर होते-होते उन्हें यह जानकर लौटना पड़ा कि इलाज नहीं होगा.अस्पताल परिसर में एक महिला ने कहा – “मेरा बेटा ट्रामा केस में है. चार दिन से दौड़ रही हूं. कोई नहीं सुन रहा. डॉक्टर हड़ताल पर हैं. विधायक से झगड़ा हुआ है. हमें क्या मतलब? हमें तो इलाज चाहिए.”

विधायक चेतन आनंद का कहना है कि उनके साथ अस्पताल में मारपीट की गई है. उन्होंने इस मामले को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा तक पहुंचा दिया है. दूसरी तरफ, डॉक्टरों की मांग है कि विधायक पर दर्ज एफआईआर को वापस लिया जाए. दोनों पक्ष अपनी जिद पर अड़े हैं और उसका खामियाजा भुगत रहे हैं आम लोग, खासकर गरीब और दूरदराज़ से आने वाले मरीज.चौंकाने वाली बात यह है कि एक तरफ सत्तारूढ़ दल का विधायक खुद को जनप्रतिनिधि बताते हुए माफी से इंकार कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ डॉक्टर अपनी सुरक्षा की बात कहकर मुकदमा हटाने की मांग कर रहे हैं।

लेकिन इस खींचतान में जो सबसे ज्यादा कुचले जा रहे हैं, वो हैं आम लोग. कोई गंभीर मरीज रेफर होकर लौट रहा है, किसी का महीनों से तय ऑपरेशन टल रहा है, तो कोई सुबह-सुबह अस्पताल पहुंचकर घंटों लाइन में लगने के बाद निराश वापस जा रहा है.बिहार सरकार की चुप्पी ने इस पूरे मामले को और विवादास्पद बना दिया है. एक ओर जहां विधायक चेतन आनंद बाहुबली पृष्ठभूमि से जुड़े हैं, वहीं प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग उनकी माफ़ी न मांगने की ज़िद पर खामोश है. ना तो विधायक पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी की गई है, ना ही एम्स प्रशासन को स्पष्ट निर्देश. यह स्थिति उस राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल है, जहां एक जनप्रतिनिधि माफी की बजाय सत्ता का रौब दिखा रहा है, और मरीज बेबस होकर सरकार से आस लगाए बैठे हैं.

एम्स पटना के जूनियर डॉक्टरों का आंदोलन जारी 6 अगस्त से ओपीडी और आपातकालीन सेवा ठप करने की चेतावनी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के जूनियर डॉक्टरों का शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन मंगलवार को भी पूरी मजबूती और एकजुटता के साथ जारी रहा. जूनियर चिकित्सक संघ ने एक बार फिर साफ किया है कि जब तक उनकी प्रमुख माँगों पर ठोस कार्यवाही नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.प्रमुख माँगें -एक जूनियर चिकित्सक पर दर्ज झूठे मुकदमे को अविलंब वापस लिया जाए. राज्य सरकार के उपयुक्त पदाधिकारी के साथ औपचारिक बैठक कर चिकित्सकों की सुरक्षा, सम्मान और गरिमा की गारंटी दी जाए।


आर डी ए संघ ने घोषणा की है कि छह अगस्त से ओपीडी (बाह्य रोगी विभाग) और आपातकालीन चिकित्सा सेवा पूरी तरह बंद कर दी जाएगी. उनका कहना है कि वे अपने पेशे और मरीजों के प्रति समर्पित हैं, परंतु अपमान, भय और अन्यायपूर्ण कार्यस्थल में सेवा देना अस्वीकार्य है.

राजधानी के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की गई, जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सभी चिकित्सक अपनी सेवाएँ देते हुए काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराएंगे. इसके साथ ही आज शाम पाँच बजे सभी चिकित्सा महाविद्यालयों में मौन जुलूस निकाला जाएगा, ताकि सभी संस्थानों की एकजुटता को दर्शाया जा सके।

जूनियर चिकित्सक संघ ने कहा कि उन्हें केवल बिहार ही नहीं, बल्कि देशभर के विभिन्न राज्यों के चिकित्सा महाविद्यालयों से समर्थन प्राप्त हो रहा है. यह विरोध अब केवल एम्स पटना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा, सम्मान और न्याय की माँग का प्रतीक बन गया है.संघ ने एम्स पटना के शिक्षक संगठन से भी अपील की है कि वे इस आंदोलन में भागीदारी करें और इसे और सशक्त बनाएँ. साथ ही देश के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों से अनुरोध किया गया है कि वे भी इसी प्रकार समर्थन प्रदान करें.जूनियर चिकित्सकों ने कहा कि उनका संघर्ष केवल अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि पूरे चिकित्सा समुदाय की गरिमा और जनसेवा के सम्मान की रक्षा के लिए है.

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