भारत के अलावा 9 देशों की है अपनी रामायण, 300 से ज्यादा रामकथाएं, वाल्मीकि से भी 100 साल पहले लिखी गई थी पहली कहानी
300 से ज्यादा ऐसी रामकथाएं हैं जो दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में प्रचलित हैं। इसके अलावा 2 से 3 हजार लोक कथाएं भी हैं, जो राम कथा से जुड़ी हुई हैं। भारत के अलावा 9 और देश हैं जहां किसी ना किसी रुप में रामकथा सुनी और गाई जाती है। कम ही लोग जानते हैं कि अपनी डिक्शनरी के लिए पहचाने जाने वाले बेल्जियम के प्रो. कामिल बुल्के ने रामकथा पर सबसे गहन शोध किया है। इस पर उनकी एक किताब भी प्रकाशित है, रामकथाः उत्पत्ति और विकास।
इसमें उन्होंने दुनियाभर की रामकथाओं का विश्लेषण किया है। लोगों में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस सबसे ज्यादा प्रचलित है और रामकथा के रूप में घर-घर में वही पूजी भी जाती है लेकिन मूल रामकथा महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण को ही माना जाता है। रामचरितमानस सहित सारी रामकथाएं वाल्मीकि रामायण से ही प्रेरित हैं। प्रो. बुल्के की ही पुस्तक रामकथाः उत्पत्ति और विकास से अलग-अलग रामकथाओं पर कुछ रोचक तथ्यों का संकलन कुछ इस प्रकार है।
ऋग्वेद में है राम का सबसे पहला उल्लेख
साधारणतः ये माना जाता है कि राम के जीवन पर सबसे पहला ग्रंथ महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण है। कुछ हद तक यह सच भी है लेकिन ऐसा नहीं है कि राम का पहली बार उल्लेख वाल्मीकि ने अपने ग्रंथ में किया था। वेदों में राम का नाम एक-दो स्थानों पर मिलता है। ऋग्वेद में एक स्थान पर राम के नाम का उल्लेख मिलता है, ये तो स्पष्ट नहीं है कि ये रामायण वाले ही राम हैं लेकिन ऋग्वेद में राम नाम के एक प्रतापी और धर्मात्मा राजा का उल्लेख है।
रामकथा का सबसे पहला बीज दशरथ जातक कथा में मिलता है। जो संभवतः ईसा से 400 साल पहले लिखी गई थी। इसके बाद ईसा से 300 साल पूर्व का काल वाल्मीकि रामायण का मिलता है। वाल्मीकि रामायण को सबसे ज्यादा प्रमाणिक इसलिए भी माना जाता है क्योंकि वाल्मीकि भगवान राम के समकालीन ही थे और सीता ने उनके आश्रम में ही लव-कुश को जन्म दिया था। लव-कुश ने ही राम को दरबार में वाल्मीकि की लिखी रामायण सुनाई थी।
सीता को माना है कृषि की देवी
ऋग्वेद में अकेले राम नहीं सीता का भी उल्लेख मिलता है। ऋग्वेद ने सीता को कृषि की देवी माना है। बेहतर कृषि उत्पादन और भूमि के लिए दोहन के लिए सीता की स्तुतियां भी मिलती हैं। ऋग्वेद के 10वें मंडल में ये सूक्त मिलता है जो कृषि के देवताओं की प्रार्थना के लिए लिखा गया है। वायु, इंद्र आदि के साथ सीता की भी स्तुति की गई है। काठक ग्राह्यसूत्र में भी उत्तम कृषि के लिए यज्ञ विधि दी गई है उसमें सीता के नाम का उल्लेख मिलता है तथा विधान बताया गया है कि खस आदि सुगंधित घास से सीता देवी की मूर्ति यज्ञ के लिए बनाई जाती है।
अशोक वाटिका से लंका दहन का सबसे अलग किस्सा
हनुमान का लंका में जाकर सीता से मिलना, अशोक वाटिका उजाड़ना और लंका को जलाने वाला प्रसंग तो लगभग सभी को पता है। लेकिन कुछ रामकथाओं में इसमें भी बहुत अंतर मिलता है। जैसे 14वीं शताब्दी में लिखी गई आनंद रामायण में उल्लेख मिलता है कि जब सीता से अशोकवाटिका में मिलने के बाद हनुमान को भूख लगी तो सीता ने अपने हाथ के कंगन उतारकर हनुमान को दिए और कहा कि लंका की दुकानों में ये कंगन बेचकर फल खरीद लो और अपनी भूख मिटा लो। सीता के पास दो आम रखे थे, सीता ने वो भी हनुमान को दे दिए। हनुमान के पूछने पर सीता ने बताया कि ये फल इसी अशोक वाटिका के हैं, तब हनुमान ने सीता से कहा कि वे इसी वाटिका से फल लेकर खाएंगे।
विभीषण के लिए बनाई थी नई लंका
सेरीराम रामायण सहित कुछ रामायणों में एक प्रसंग मिलता है कि रावण ने विभीषण को समुद्र में फिंकवा दिया था। वह एक मगर की पीठ पर चढ़ गया, बाद में हनुमान ने उसे बचाया और राम से मिलवाया। विभीषण के साथ रावण का एक भाई इंद्रजीत भी था और एक बेटा चैत्रकुमार भी राम की शरण में आ गया था। राम ने विभीषण को युद्ध के पहले ही लंका का अगला राजा घोषित कर दिया था। रंगनाथ रामायण में उल्लेख मिलता है कि विभीषण के राज्याभिषेक के लिए हनुमान ने एक बालूरेत की लंका बनाई थी। जिसे हनुमत्लंका (सिकतोद्भव लंका) के नाम से जाना गया।
भारत के बाहर रामकथाएं
- नेपाल -भानुभक्तकृत रामायण, सुन्दरानन्द रामायण, आदर्श राघव
- कंबोडिया -रामकर
- तिब्बत-तिब्बती रामायण
- पूर्वी तुर्किस्तान-खोतानी रामायण
- इंडोनेशिया -कबिनरामायण
- जावा-सेरतराम, सैरीराम, रामकेलिंग, पातानी रामकथा
- इण्डोचायना-रामकेर्ति (रामकीर्ति), खमैर रामायण
- बर्मा (म्यांम्मार)-यूतोकी रामयागन
- थाईलैंड रामकियेन
सबसे ज्यादा संस्कृत और उड़िया में राम कथा
ये जानकर भी आपको आश्चर्य होगा कि भारत में लगभग हर भाषा में रामकथा है लेकिन सबसे ज्यादा संभवतः संस्कृत और उड़िया भाषा में ही है। संस्कृत में करीब 17 तरह की छोटी-बड़ी रामकथाएं हैं, जिनमें वाल्मीकि, वशिष्ठ, अगस्त्य और कालिदास जैसे ऋषियों और कवियों की रचनाएं हैं। वहीं उड़िया भाषा में करीब 14 तरह की अलग-अलग रामकथाएं हैं। सभी के कथानक मूलतः वाल्मीकि रामायण से ही प्रेरित हैं।