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वी वांट जस्टिस” “बंदूक की नोक पर सेवा नहीं” “विधायक चेतन आनंद माफी मांगो” नारों से गूंजा पटना एम्स


हड़ताल पर डटे रेजिडेंट डॉक्टर, वैकल्पिक सेवाएं पूरी तरह ठप

फुलवारी शरीफ. पटना एम्स में शुक्रवार को रेजिडेंट डॉक्टरों का आक्रोश और तेज हो गया। सैकड़ों डॉक्टरों ने आरडीए के नेतृत्व में एम्स परिसर में मार्च निकाला और जोरदार प्रदर्शन किया। डॉक्टरों ने नारे लगाए कि वे बंदूक की नोक पर इलाज नहीं करेंगे और जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, वे सेवा बहाल नहीं करेंगे। प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने विधायक चेतन आनंद से सार्वजनिक माफी की मांग की और प्रशासन से उचित कानूनी कार्रवाई की अपेक्षा जताई।

इस पूरे घटनाक्रम ने एम्स के अंदर तनाव का माहौल बना दिया है। डॉक्टरों ने साफ कर दिया है कि यह केवल एक अस्पताल या एक डॉक्टर का मामला नहीं है, बल्कि पूरे चिकित्सा समुदाय की सुरक्षा और सम्मान से जुड़ा सवाल है। डॉक्टरों ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाया, तो आपात सेवाएं भी बंद कर दी जाएंगी।

प्रदर्शन की जानकारी मिलते ही एम्स के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. अनूप कुमार और इमरजेंसी इंचार्ज डॉ. अनिल कुमार मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से बातचीत की। लेकिन डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि सिर्फ बातचीत से समाधान नहीं होगा, जब तक कार्रवाई नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा।

फिलहाल एम्स की ओपीडी और कुछ अन्य सेवाएं फैकल्टी डॉक्टरों के सहारे किसी तरह चल रही हैं। लेकिन रेजिडेंट डॉक्टर अपनी जगह डटे हैं और सेवाएं पूरी तरह बंद कर रखी हैं। उनका कहना है कि यह कोई सामान्य हड़ताल नहीं, बल्कि आत्म-सम्मान की लड़ाई है। वे मरीजों की सेवा के लिए हमेशा तैयार हैं, लेकिन डर और अपमान के माहौल में काम करना संभव नहीं।

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डॉक्टरों का यह भी कहना है कि घटना के कई दिन बीत जाने के बाद भी न तो एफआईआर दर्ज की गई है और न ही प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई की है। इससे न सिर्फ चिकित्सकों का मनोबल टूटा है, बल्कि अस्पताल की गरिमा भी सवालों के घेरे में आ गई है।

प्रदर्शन में डॉ. अमन वर्मा, डॉ. अजय यादव, डॉ. राहुल कसौधन, डॉ. कुलदीप शर्मा, डॉ. सिथार्थन एम, डॉ. अमित गुप्ता, डॉ. सिद्धार्थ सौरभ, डॉ. आनंद कुमार यादव, डॉ. सयानी दास घोष, डॉ. रितेश कुमार, डॉ. प्राची जैन और डॉ. आस्था प्रियदर्शिनी जैसे अनेक रेजिडेंट डॉक्टर शामिल रहे। उनका कहना है कि जब तक उन्हें भरोसेमंद सुरक्षा और न्याय नहीं मिलेगा, वे किसी भी सूरत में ड्यूटी पर वापस नहीं लौटेंगे।

अब पूरा ध्यान एम्स प्रशासन और बिहार सरकार की ओर है कि वे इस संवेदनशील मामले को कैसे हैंडल करते हैं। डॉक्टरों का आंदोलन सिर्फ बढ़ता जा रहा है और पूरे अस्पताल परिसर में तनाव का माहौल बना हुआ है।

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