पटना से अजीत यादव कि रिपोर्ट
पटना। विश्व पर्यावरण दिवस पर 5 जून को पटना प्रबंधन संघ और बिहार राज्य उत्पादकता परिषद ने पटना के सनई कंसल्टेंसी के सहयोग से एक गोलमेज वार्ता का आयोजन किया। चर्चा का विषय था सर्वश्रेष्ठ प्लास्टिक प्रदूषण।
पीएमए के अध्यक्ष एडवोकेट बी.के. सिन्हा ने थीम को संबोधित किया और प्लास्टिक प्रदूषण के खतरों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण ट्रिपल प्लेनेटरी संकट के घातक प्रभावों को बढ़ाता है।

जलवायु परिवर्तन का संकट, प्रकृति, भूमि और जैव विविधता का नुकसान, प्रदूषण और कचरे का संकट। वैश्विक स्तर पर, अनुमान है कि हर साल 11 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में लीक हो जाता है, जबकि कृषि उत्पादों में प्लास्टिक के उपयोग के कारण सीवेज और लैंडफिल से मिट्टी में माइक्रोप्लास्टिक जमा हो जाता है। प्लास्टिक प्रदूषण की वार्षिक सामाजिक और पर्यावरणीय लागत 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बीच है। 2025 तक दुनिया के शहर हर साल 2.2 बिलियन टन कचरा पैदा करेंगे, जो 2009 में पैदा हुए कचरे से तीन गुना ज़्यादा है।

इसका लक्ष्य ऐसी नीतियों और निवेशों को प्रोत्साहित करना है जो रसायनों से स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए जोखिम को कम करें। सलाहकार श्री आर.के.चंद्रा ने प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के 10 तरीके सुझाए। श्री प्रणव चौधरी, आईआईटीएन, सनई कंसल्टेंसी और संयुक्त तत्वाधान में बीएसपीसी ने भी इस विषय पर अपने काम के कुछ अनुभव साझा किए। उपस्थित सदस्यों ने भी तत्परता से भाग लिया।