वट सावित्री पूजा को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह एवं श्रद्धा देखी गई
खगौल। सोमवार को वट सावित्री पूजा को लेकर खगौल कि महिलाओं में काफी उत्साह एवं श्रद्धा देखी गई। सोमवार को 4:00 बजे भोर से महिलाएं बट वृक्ष के नीचे पहुंच कर पूजा अर्चना में जुटी थी। बट सावित्री की पूजा करने पहुंची विराट वृक्ष के नीचे सारी महिलाए अपनी सोलह सिंगर करके वट वृक्ष को कच्चे धागे से फेरी लेते हुए बड़े हि श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना कर रही थी।

वही बट वृक्ष के नीचे पंडित जी बट सावित्री की कथा को महिला श्रद्धालु को सुना रहे थे। यह पूजा दिन में 12 बजे के बाद भी की जा रही थी।
पूजा करने आई महिलाओं ने बतलाया कि यमराज सत्यवान के प्राण लेकर जाने लगे, तो सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चलने लगीं।

यमराज ने उन्हें बार-बार रोकने की कोशिश की और वापस जाने को कहा, लेकिन सावित्री ने अपनी पतिव्रता और धर्मनिष्ठा के बल पर उन्हें नहीं छोड़ा। वे तर्क और धर्म के सिद्धांतों के आधार पर यमराज से बात करती रहीं। सावित्री की निष्ठा, धैर्य और बुद्धिमत्ता से प्रसन्न होकर यमराज ने उन्हें एक-एक करके तीन वरदान मांगने को कहा सत्यवान के प्राणों को छोड़कर।
सावित्री ने पहले वरदान में अपने अंधे सास-ससुर की आंखों की रोशनी मांगी।
दूसरे वरदान में उन्होंने अपने ससुर का खोया हुआ राज्य वापस मांगा।

तीसरे वरदान में सावित्री ने स्वयं के लिए 100 पुत्रों का वरदान मांगा। जब सावित्री ने 100 पुत्रों का वरदान मांगा, तो यमराज समझ गए कि बिना सत्यवान को जीवित किए यह वरदान पूरा नहीं हो सकता। अपने दिए हुए वचन अनुसार यमराज बंधे हुए थे।यमराज ने तथास्तु कहकर तीनों वरदान दे दिए। इस प्रकार सावित्री की दृढ़ता और पतिव्रता के आगे यमराज को झुकना पड़ा और उन्होंने सत्यवान के प्राण लौटा दिए।