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फुलवारी में निकलने वाली वर्षों पुरानी माता की डाली खप्पड़ पूजा की पूरी हुई तैयारी

संगत पर देवी मां काली के शीतला माता मंदिर से आज निकलेगी माता की डाली (खप्पड़)

फुलवारी शरीफ, अजीत यादव: राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ प्रखंड कार्यालय के सामने संगत पर स्थित देवी मां काली के शीतला माता मंदिर से 100 वर्षों से भी अधिक समय से निकलने वाली माता की डाली खप्पड़ पूजा कि सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है। रविवार को शाम के समय सात बजे के बाद हवन पूजन के बाद देवी मां के मंदिर से माता की डाली यानी खप्पड़ निकाला जाएगा । वर्षों पुरानी इस अनोखी पूजन परंपरा को लेकर मंदिर परिसर को आकर्षक ढंग से किसिम किसिम के पुष्प एवं रंग-बरंगे बिजली के लाइटों से सजाया गया है । वहीं मंदिर परिसर में सुबह से शाम और देर रात तक पूजन करने को श्रद्धालुओं का रेला उमड़ रहा है। पिछले सालों की तरह इस साल भी माता की डाली में यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को पहुंचने की संभावना है।

मंदिर समिति के अध्यक्ष देवेंद्र प्रसाद ने बताया कि मंदिर के पुजारी जी अपने हाथों में माता की डाली खप्पर में जलता हुआ आग लेकर आगे आगे चलते हैं और पीछे पीछे श्रद्धालुओं का हुजूम माता के जयकारे लगाते चलता है। संगत पर, टमटम पड़ाव ,चौराहा गली, सदर बाजार, पेठिया बाजार, प्रखंड कार्यालय मोड़ होकर वापस माता की डाली मंदिर परिसर पहुंचती है। इस पूरे परिक्रमा को ही माता की डाली खप्पड़ पूजा कहा गया है। उन्होंने बताया कि फुलवारीशरीफ और आसपास के लोगों को महामारी से बचाने के लिए यह परंपरा सौ बरसों से पहले से चली आ रही है। कहा जाता है कि कालान्तर में पटना के फुलवारी शरीफ और आसपास के इलाकों में भयंकर महामारी फैला था, जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोगों की जाने जा रही थी । लोग परेशान थे कि आखिर इस महामारी से कैसे छुटकारा मिले। ऐसे में फुलवारी शरीफ के प्रसिद्ध देवी मां काली मंदिर संगत पर के मंदिर के पुजारी जी झमेली बाबा को स्वप्न में आकर माता ने खप्पड़ यानी माता की डाली निकालने और शहर की परिक्रमा करने को कहा था। माता की डाली से निकले धुंआ और अग्नि के प्रभाव से महामारी का खात्मा होने की बात बताई गई। सौ साल पहले से चली आ रही परंपरा पर आज भी खप्पड़ निकालने के साथ चलती आ रही है।

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