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नगवां गांव में दो मासूम भाई-बहन की निर्मम हत्या के बाद शुक्रवार को भी गांव में मातमी सन्नाटा पसरा

नगवां गांव में दो मासूम भाई-बहन की निर्मम हत्या के बाद शुक्रवार को भी गांव में मातमी सन्नाटा पसरा रहा. हर चौपाल, हर घर के ओटे पर एक ही चर्चा थी – “आख़िर इतना जघन्य अपराध किसने किया और क्यों किया?”. महिलाओं में डर का माहौल है और बच्चों को लेकर चिंता गहराई हुई है.

वहीं इस दर्दनाक वारदात की पहली गवाह बनीं पड़ोसी की आंखों देखी कहानी गांव के लोगों को अंदर तक झकझोर गई. पड़ोस में रहने वाले कल्लू चौधरी ने बताया कि गुरुवार को करीब ढाई बजे जैसे ही शोभा कुमारी (मृत बच्चों की मां) काम से घर लौटीं, तो देखा कि मुख्य दरवाजा खुला हुआ था. जबकि आमतौर पर दरवाजा बंद रहता था और किसी के दस्तक देने पर ही खोला जाता था।

शोभा जैसे ही घर में दाखिल हुईं, तो एक कमरे से हल्का धुआं निकलता दिखा. अंदर जाकर देखा तो बच्चों के शव जले हुए पड़े थे. वह जोर-जोर से चिल्लाने लगीं – “आग लग गया, गैस लीक हो गया, दोनों बच्चा जल गया.” शोर सुनकर सबसे पहले कल्लू चौधरी मौके पर पहुंचे.

उन्होंने बताया – “जब मैं अंदर गया तो दृश्य देखकर मेरे हाथ-पांव कांपने लगे. दोनों बच्चे बिस्तर पर पड़े थे और उनसे हल्का धुंआ उठ रहा था. मैं कुछ समझ पाता, उससे पहले खुद भी चिल्लाते हुए बाहर निकल आया. थोड़ी ही देर में गांव में शोर फैल गया और लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.”

स्थानीय लोगों ने तुरंत अनुमान लगा लिया कि यह कोई हादसा नहीं, बल्कि सोची-समझी हत्या है. शोभा कुमारी ने किसी तरह पति ललन गुप्ता को फोन किया. लेकिन इसके पहले ही उसकी मायके से लोग घटनास्थल पर पहुंच चुके थे. उन्होंने हालात देखने के बाद स्पष्ट कहा – “यह आगजनी नहीं, यह हत्या है.”

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मौके पर पहुंची पुलिस और एफएसएल टीम ने जांच शुरू की. बाद में यह पुष्टि हुई कि दोनों मासूमों की पहले तकिये से मुंह दबाकर हत्या की गई और फिर शव पर किरोसीन तेल डालकर जलाया गया. पुलिस को घटनास्थल से एक टोपी भी मिली है, जिसे सुराग के तौर पर लिया गया है.

इस वारदात से गांव सदमे में है. कई घरों में भोजन तक नहीं बना. लोग इस सवाल में उलझे हैं कि “जिस परिवार का किसी से कोई लेना-देना नहीं था, जिनका गांव में आना-जाना भी कम था, उनके साथ ऐसा क्यों हुआ?”. ललन गुप्ता का परिवार शांत और सीमित जीवन जीता था. घर का दरवाजा हमेशा बंद रहता था और केवल दस्तक पर ही खोला जाता था.

पुलिस का मानना है कि हत्यारे मुख्य दरवाजे से दाखिल हुए और वारदात को अंजाम देने के बाद उसी रास्ते से निकल कर पीछे की ओर भाग निकले. घटना को अंजाम देने वालों को घर की गतिविधियों और समय की पूरी जानकारी थी. इसीलिए दोपहर एक से दो बजे के बीच का समय चुना गया.

शोभा कुमारी की मानसिक स्थिति अब भी इतनी खराब है कि पुलिस उनसे पूछताछ नहीं कर पा रही है. पुलिस अब एक विशेष मोबाइल की तलाश कर रही है, जिसे इस केस में अहम सबूत माना जा रहा है.

वहीं सारा काम धाम छोड़कर हजारों की भीड़ मृतक के घर और बाजार में घंटे जम रहे. जब भी कोई अधिकारी या नेता मृतक के परिवार से मिलने उसके घर की तरफ जाता सैकड़ो की भी उसे और दूर पर थी देखकर लग रहा था पूरा गांव अपना घर का सारा काम धाम छोड़कर इस घटना को उद्वेदन के लिए व्याकुल है.लोग पुलिस कर्मियों को कोस रहे थे की अब तक पुलिस ने किसी अपराधी को क्यों नहीं पक़ड़ा है. महिलाएं बार-बार पुलिस कर्मियों को उलाहना दे रहे थे कि पुलिस कुछ नहीं कर रही है, जल्दी से जल्दी ऐसी निर्मम ने हत्या करने वाले लोगों को पुलिस को पकड़ कर सामने लाना चाहिए ऐसे लोगों को फांसी न देकर गोली मार देना चाहिए

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