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जिला शिक्षा कार्यालय नालंदा के लिपिक को भ्रष्टाचार के मामले मे सजा

अजीत यादव कि रिपोर्ट

पटना। भ्रष्टाचार के विरुद्ध निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की सतत प्रतिबद्धता लगातार उदाहरण प्रस्तुत कर रही है। इसी क्रम में सोमवार को विशेष न्यायाधीश, निगरानी न्यायालय, पटना मो. रुस्तम द्वारा विशेष वाद संख्या 34/2009 (जो कि सतर्कता थाना कांड संख्या 44/2009 से संबंधित है) में अभियुक्त राज किशोर सिन्हा, लिपिक, जिला शिक्षा कार्यालय, नालंदा को दोषी करार दिया गया।
इस मामले में विशेष लोक अभियोजक (ट्रैप मामले), निगरानी, पटना बिजय भानु उर्फ पुटटु बाबू द्वारा प्रभावी रूप से अभियोजन पक्ष का संचालन किया गया।

न्यायालय द्वारा पीसी अधिनियम की धारा 7 के अंतर्गत एक वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10,000 रूपये का जुर्माना एवं पीसी अधिनियम की धारा 13(2) सहपठित धारा 13(1)(डी) के अंतर्गत दो वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10,000 रुपये का जुर्माना और जुर्माना अदा नहीं करने की स्थिति में एक माह का साधारण कारावास भुगतना होगा। न्यायालय ने आदेश दिया कि उपर्युक्त सजा एक साथ चलेगी।
शिकायतकर्ता अवधेश कुमार चौधरी, प्रखंड शिक्षक, उत्क्रमित मध्य विद्यालय, गंगा विगहा, एकंगर सराय, नालंदा के वेतन भुगतान को नाजायज तरीके से रोककर अभियुक्त द्वारा रिश्वत की मांग की गई थी। इसी शिकायत के आलोक में दिनांक 28.04.2009 को निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा अभियुक्त को बिहारशरीफ, नालंदा के मोहल्ला काजी तकिया स्थित उनके किराए के मकान से वेतन भुगतान के एवज में 1600 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था।


मामले की सुनवाई के दौरान निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा कुल 10 अभियोजन गवाहों की साक्ष्य प्रस्तुत की गई, जिसके आधार पर न्यायालय ने अभियुक्त को दोषी ठहराया। यह निर्णय भ्रष्टाचार के विरुद्ध राज्य सरकार एवं निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की सतर्कता, निष्पक्षता एवं प्रतिबद्धता का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

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