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गौरीचक थाना में जब्त शराब तस्करी के वाहन से गायब हुए चार चक्के और बैटरी

पीड़ित वाहन मालिक ने दर्ज कराई शिकायत, कोर्ट से मिल सकता है नोटिस

फुलवारी शरीफ. अजीत । राजधानी पटना के गौरीचक थाना क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पुलिस की कार्यप्रणाली और सिस्टम की लापरवाही को फिर से उजागर कर दिया है. शराब तस्करी के मामले में जब्त एक पिकअप वाहन को न्यायालय से रिहा कराने पहुंचे वाहन मालिक के होश उस वक्त उड़ गए, जब उन्होंने देखा कि गाड़ी के चारों चक्के, बैटरी और अन्य जरूरी सामान गायब थे।

यह वही पिकअप (BR 01GN/6895) है जिसे 17 अगस्त 2024 को गौरीचक थाना पुलिस ने विदेशी शराब के साथ जब्त किया था. वाहन का मालिक नालंदा निवासी गुंजन कुमार है, जिसने बैंक से लोन लेकर यह पिकअप खरीदी थी. पुलिस ने उस दिन ड्राइवर निखिल कुमार और खुद वाहन मालिक गुंजन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

जुर्माना भर कर छुड़ाई गाड़ी, लेकिन मिली टूटी-फूटी लुटी हुई गाड़ी.

गुंजन कुमार को जेल से रिहाई के बाद अदालत से वाहन रिलीज कराने की अनुमति मिली. इसके लिए उसे दो अलग-अलग चालानों की राशि भरनी पड़ी. एक चालान की राशि 3,93,813 रुपए और दूसरा 11,814 रुपए थी. इतनी भारी रकम अदा करने के बाद जब वह अदालत के आदेश के साथ थाने पहुंचा, तो पाया कि गाड़ी के चारों टायर, बैटरी और अन्य सामान चोरी हो चुके है।

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थाने में दर्ज कराई गई शिकायत, लेकिन जवाब में सिर्फ चुप्पी.

गुंजन कुमार ने इस चोरी के संबंध में थाना में शिकायत दर्ज कराई. थाना प्रभारी अरुण कुमार ने चोरी की बात तो मानी, लेकिन कोई ठोस जवाब या कार्रवाई की बात नहीं कही. उल्टा उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि गौरीचक थाना परिसर में मालखाना नहीं है, इसलिए जब्त वाहन को सड़क किनारे खड़ा कर दिया गया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि वाहन मालिक उसे लेकर चला गया है, जबकि वाहन मालिक ने स्पष्ट रूप से बताया है कि गाड़ी उसे टूटी हालत में मिली और उसे लगभग 50,000 रुपए खर्च कर नई बैटरी और टायर लगवाने पड़े।

अब न्यायालय से होगी पटना पुलिस की जवाबदेही तय.

गुंजन कुमार के वकील कुमार गौरव ने न्यायालय में शिकायत दर्ज कराने की बात कही है. हाईकोर्ट के एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि कोर्ट इस मामले में थाना को नोटिस जारी कर सकता है, क्योंकि यह मामला न सिर्फ आम नागरिक के अधिकारों का हनन है, बल्कि पुलिस की सीधी लापरवाही और जवाबदेही को उजागर करता है।

एक ओर बिहार सरकार शराबबंदी के नाम पर सख्ती दिखा रही है, वहीं दूसरी ओर जब्त गाड़ियों के साथ इस तरह की लूट-चोरी से पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. अगर जब्त गाड़ी सुरक्षित नहीं है तो फिर अदालत के आदेश और जुर्माना भरने का औचित्य क्या है? यह मामला अब सिर्फ चोरी का नहीं, बल्कि सिस्टम में गहराई से जमी लापरवाही और गैरजवाबदेही का दस्तावेज बनता जा रहा है. पटना पुलिस को अब अदालत के कटघरे में जवाब देना ही पड़ सकता है।इस संबंध में गौरीचक थाना अध्यक्ष अरुण कुमार ने कहा कि गाड़ी मालिक ने उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं दी है गाड़ी सही सलामत ले जाने की बात लिख करके थाना में दिया गया है

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